खुला गलवान मेमोरियल: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया उद्घाटन, अब आम लोग दे सकेंगे श्रद्धांजलि

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दिल्ली/लद्दाख। गलवान घाटी में देश के शहीद सैनिकों को सम्मान देने के लिए बनाया गया गलवान वॉर मेमोरियल अब आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को इसका औपचारिक शुभारंभ किया।

यह मेमोरियल उस स्थान की याद में बनाया गया है जहां 15 जून 2020 की रात भारत और चीन की सेनाओं के बीच भीषण हिंसक झड़प हुई थी। इस घटना में भारतीय सेना के 20 वीर जवान शहीद हो गए थे। उन्हीं के शौर्य और बलिदान को अमर रखने के लिए इस स्मारक का निर्माण किया गया है। वॉर मेमोरियल लद्दाख की दुर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड पर किलोमीटर-120 पोस्ट के पास स्थित है।

पर्यटकों के लिए भोजन–रहने की व्यवस्था

गलवान घाटी दुनिया के सबसे कठिन और सामरिक रूप से संवेदनशील सैन्य क्षेत्रों में शुमार है। ‘भारत रणभूमि दर्शन’ योजना के तहत बनाए गए इस मेमोरियल को अब रेनोवेट करके पर्यटकों के लिए खोला गया है। यहां से नजदीकी आबादी का क्षेत्र करीब 100 किलोमीटर दूर है और आखिरी बसा गांव श्योक है। श्योक से गलवान तक आने वाले मार्ग पर पर्यटकों के ठहरने और खाने की बेहतर व्यवस्था की गई है, ताकि देशभर से आने वाले लोग सरलता से शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकें।

लाल–काले ग्रेनाइट से तैयार भव्य स्मारक

गलवान मेमोरियल का निर्माण लाल और काले ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया है, जो इसकी खूबसूरती और मजबूती को दर्शाता है। इसका डिजाइन त्रिशूल और डमरू के आकार में है, जबकि बीच की त्रिकोणीय संरचना ऊर्जा और ऊंचे पर्वतों की शक्ति का प्रतीक मानी गई है। स्मारक के पास अमर ज्योति और राष्ट्रीय ध्वज भी स्थापित किया गया है। इसके चारों ओर गलवान में वीरगति प्राप्त 20 सैनिकों की प्रतीकात्मक कांस्य प्रतिमाएं लगाई गई हैं।

यहां एक संग्रहालय और डिजिटल गैलरी भी बनाई गई है, जिसमें गलवान की घटना, शहीदों की वीरगाथाओं और सेना की उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रदर्शित किया गया है। यह स्मारक देशभक्ति, सम्मान और सैनिकों के त्याग का जीवंत प्रमाण बनकर अब पर्यटकों के लिए एक नई आकर्षण का केंद्र बन गया है।

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