दिल्ली। राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर ठगी और डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrest) के बढ़ते मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि किसी भी व्यक्ति के नाम पर अब तीन से अधिक सिम कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे। साथ ही 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल, ऑनलाइन गेम्स और सोशल मीडिया पर कड़ी गाइडलाइन बनाने के आदेश दिए गए हैं।
यह निर्णय जस्टिस रवि चिरानिया ने 84 वर्षीय दंपती से 2 करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने वाले दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए सुनाया। अदालत ने कहा कि साइबर अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा और आम जनता की आर्थिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है, इसलिए सख्त कार्रवाई जरूरी है।
हाईकोर्ट ने गृह विभाग को I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) की तर्ज पर R4C यानी Rajasthan Cyber Crime Control Centre स्थापित करने का आदेश दिया। इसके लिए डीजी साइबर के अधीन स्पेशल आईटी इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जाएगी, जो केवल साइबर अपराधों की जांच करेंगे और किसी अन्य विभाग में स्थानांतरित नहीं होंगे।
कोर्ट ने बैंकिंग सिस्टम में साइबर ठगी रोकने के लिए भी सख्त दिशा-निर्देश जारी किए। सभी बैंकों और फिनटेक कंपनियों को RBI द्वारा विकसित ‘Mule Hunter’ जैसे AI टूल्स का उपयोग अनिवार्य किया गया है ताकि संदिग्ध खातों और लेनदेन को तुरंत पकड़ा जा सके।
साथ ही, जिन ग्राहकों की वार्षिक बैंकिंग ट्रांजैक्शन 50 हजार से कम है या डिजिटल जागरूकता कम है, उनके UPI और नेट बैंकिंग लिमिट पर सख्त नियंत्रण का सुझाव दिया गया है।
राजस्थान में बेचे जाने वाले सभी डिजिटल डिवाइसेज (नए व पुराने) की बिक्री और रजिस्ट्रेशन DG साइबर की निगरानी में होगा। इसके अलावा, ओला-उबर ड्राइवर, स्विगी-जॉमैटो डिलीवरी पार्टनर जैसे गिग वर्कर्स के लिए पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है।
हाईकोर्ट का यह फैसला साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में देश के लिए एक मिसाल माना जा रहा है।

