बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेशभर की सड़कों और हाईवे पर हो रही स्टंटबाजी और चलती गाड़ी पर केक कटिंग के मामलों को बेहद गंभीरता से लेते हुए इन्हें मॉनिटरिंग पर रख लिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पुलिस की कार्रवाई केवल औपचारिकता न होकर ऐसी होनी चाहिए, जो अपराधियों के लिए सबक बने। साथ ही राज्य शासन को निर्देश दिया कि वह नियमों को कठोरता से लागू करे और सड़क सुरक्षा से कोई समझौता न हो।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव की ओर से दाखिल शपथ पत्र में बताया गया कि 25 अक्टूबर को मंत्रालय में आईजी प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी, जिसमें प्रदेशभर के कलेक्टर और एसपी शामिल हुए। सभी जिलों को स्टंटबाजी और यातायात उल्लंघन पर सख्ती बरतने का निर्देश दिया गया है। पीएचक्यू की ओर से भी इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब्त की गई गाड़ियों को शर्तों के साथ बांड भरवाकर छोड़ा जा सकता है, लेकिन एक वर्ष में दोबारा गलती पाए जाने पर वाहन की स्थायी जब्ती और पेनल्टी लागू होगी।
गौरतलब है कि प्रदेश में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे थे, जिसके बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। शासन की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस ने अभियान चलाकर कई वाहनों को जब्त किया है और ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की अनुशंसा भी की गई है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
सुनवाई में हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि सार्वजनिक सड़कों पर स्टंट करने वाले युवाओं के खिलाफ कड़ी सजा आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि पुलिस अक्सर गरीब और मध्यम वर्ग पर सख्ती दिखाती है, जबकि संपन्न वर्ग मामूली जुर्माना देकर छूट जाता है। कोर्ट ने पूर्व में जब्त 18 कारों को बिना अनुमति के न छोड़ने के आदेश भी दिए थे।
शासन ने कहा कि जागरूकता अभियान तेज किए जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने सुनवाई समाप्त करते हुए स्पष्ट किया कि लापरवाह और दूसरों की जान खतरे में डालने वाले अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई ही सड़क सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है।

