पत्नी-बेटे को पहचानने से पति ने किया इंकार, महिला आयोग ने डीएनए टेस्ट के आदेश दिए

पत्नी-बेटे को पहचानने से पति ने किया इंकार, महिला आयोग ने डीएनए टेस्ट के आदेश दिए

रायपुर।  राजधानी रायपुर में मंगलवार को महिला आयोग के समक्ष महिलाओं से जुड़े प्रताड़ना मामलों की सुनवाई हुई। गरियाबंद निवासी एक महिला ने शिकायत की कि उसका पति न तो उसे पत्नी मानता है और न ही उनके बेटे को अपना बेटा कहता है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने गरियाबंद कलेक्टर को पत्र लिखकर पति, पत्नी और बेटे का डीएनए टेस्ट कराने के निर्देश दिए। रिपोर्ट दो माह के भीतर आयोग को सौंपने को कहा गया है।

इस दौरान जिला पुलिस अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी करने को भी कहा गया। आयोग की बैठक में सदस्यों लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और ओजस्वी मंडावी भी मौजूद रहीं।

भरण-पोषण को लेकर भी आया मामला

एक अन्य केस में एक महिला ने बताया कि आपसी सहमति से तलाक लेने के बावजूद उसका पूर्व पति भरण-पोषण नहीं दे रहा। वह खुद को बेरोजगार बताकर जिम्मेदारी से बच रहा है। सुनवाई के दौरान आयोग की समझाइश के बाद पति ने हर माह 10 तारीख तक ₹2,000 देने पर सहमति जताई। यह भरण-पोषण तब तक दिया जाएगा जब तक महिला दोबारा शादी न कर ले। यदि महिला जीवनभर विवाह नहीं करती तो उसे जीवनभर सहायता मिलेगी।

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