भारत ने पिनाक रॉकेट लॉन्चर का सफल परीक्षण किया, इसमें 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने की क्षमता

भारत ने गाइडेड पिनाक वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। यह टेस्ट डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की तरफ से किया गया। यह सिस्टम पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है। यह सिस्टम केवल 44 सेकंड में 12 रॉकेट दाग सकता है, यानी हर 4 सेकेंड में एक रॉकेट। परीक्षण के दौरान इसकी मारक क्षमता, सटीकता और एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने की ताकत को परखा गया।

DRDO ने गाइडेड पिनाका रॉकेट सिस्टम का सफल परीक्षण किया। डिफेंस मिनिस्टर ने 14 नवंबर की शाम 7 बजे इसकी जानकारी दी। - Dainik Bhaskar

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह परीक्षण तीन अलग-अलग जगहों पर किया गया। दो लॉन्चरों से कुल 24 रॉकेट दागे गए। ये सभी रॉकेट अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदने में कामयाब रहे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कामयाबी पर DRDO और सेना को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस नए सिस्टम के जुड़ने से हमारी सेना और मजबूत होगी। गाइडेड पिनाका सिस्टम को DRDO के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। इसे बनाने में कई कंपनियों ने भी योगदान दिया, जैसे म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स। DRDO के प्रमुख समीर वी. कामत ने भी इस सफलता पर अपनी खुशी जताई और कहा कि यह सिस्टम अब सेना में शामिल होने के लिए तैयार है।

फरवरी 2024 में पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम की ताकत का प्रदर्शन किया गया था।

क्या है पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम

पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का नाम भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर रखा गया है। इसे DRDO के पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDE) की तरफ से बनाया गया है। इसकी एक बैटरी में छह लॉन्च वाहन होते हैं। इसके लोडर सिस्टम, रडार और नेटवर्क आधारित सिस्टम और एक कमांड पोस्ट के साथ लिंक होते हैं।

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वर्तमान में इसके 2 वर्जन हैं। पहला मार्क I है, जिसकी रेंज 40 किलोमीटर है और दूसरा मार्क-II है, जिसकी रेंज 75 किलोमीटर है। इसकी रेंज 120-300 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है। पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम में 214 मिलिमीटर के 12 रॉकेट होते हैं। पिनाक रॉकेट्स की स्पीड ही इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाती है। इसकी स्पीड 5,757.70 किलोमीटर प्रतिघंटा है, यानी एक सेकेंड में 1.61 किलोमीटर की गति से हमला करता है। साल 2023 में इसके 24 टेस्ट किए गए थे।

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पिनाक रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के बारे में 4 पॉइंट्स पढ़ें ….
  1. 1981 में भारतीय सेना को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों की जरूरत हुई। 1986 में इस तरह की मिसाइल बनाने के लिए 26 करोड़ रुपए DRDO को दिये गए। 1999 जंग में पिनाक पाकिस्तान सेना पर जोरदार हमला करने में कामयाब रहा।
  2. 2000 में पिनाक के लिए एक अलग से रेजिमेंट बनाने की शुरुआत हुई। 19 अगस्त 2020 को पिनाक के नए वैरिएंट का पोखरण में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
  3. यूक्रेन जंग में रूसी सेना को पीछे जाने को मजबूर करने वाले कई मॉडर्न हथियारों में से एक अमेरिकी हिमार्स मिसाइल भी है। लेकिन, हिमार्स को भारत के पिनाक ने पीछे छोड़ दिया है। पिनाक की ऑपरेशनल रेंज 800 किलोमीटर है, जबकि हिमार्स का 450 किलोमीटर है।
  4. इसी तरह पिनाक की फायरिंग कैपेसिटी एक बार में 12 रॉकेट है, जबकि हिमार्स की फायरिंग कैपेसिटी एक बार में 6 रॉकेट है। इन दोनों मामलों में अमेरिकी हिमार्स से भारत का पिनाक आगे है।
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