नई दिल्ली।भारत ने फ्रांस से भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदने की 63 हजार करोड़ रुपए की डील को मंजूरी दे दी है। इस डील के तहत 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल जेट भारतीय नौसेना को दिए जाएंगे।
यह डील लंबे समय से चल रही बातचीत का परिणाम है। भारत ने राफेल-M की डील के लिए वही बेस प्राइस रखने की कोशिश की है, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 राफेल विमानों की डील के दौरान तय किया गया था। इस डील के तहत राफेल जेट के साथ भारतीय हथियारों का असेंबलिंग, सिमुलेटर, ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी मिलेगा। खास बात यह है कि इन जेट्स में भारतीय स्पेसिफिकेशन वाले उपकरण होंगे, जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए जरूरी लैंडिंग उपकरण।
राफेल मरीन जेट की तैनाती
इन 26 राफेल जेट्स को हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। ये विमान विशाखापट्टनम में स्थित INS डेगा में होम बेस के तौर पर रखे जाएंगे।
राफेल मरीन जेट की खासियत
- राफेल मरीन जेट का इंजन ज्यादा ताकतवर होता है, जिससे यह कम जगह पर लैंड कर सकता है।
- यह ‘शॉर्ट टेक ऑफ बट एरेस्टर लैंडिंग’ तकनीक से काम करता है।
- इसके दोनों वैरिएंट्स में 85% पार्ट्स एक जैसे होते हैं, जिससे स्पेयर पार्ट्स की कोई कमी नहीं होती।
- इसकी रफ्तार 1,912 किमी प्रति घंटा है और इसकी रेंज 3,700 किमी है।
- यह एंटीशिप स्ट्राइक और न्यूक्लियर प्लांट पर हमले के लिए भी डिज़ाइन किया गया है।
तीन साल बाद आएगी पहली खेप
पहली खेप के आने में 2-3 साल का समय लग सकता है। वायुसेना के लिए राफेल विमानों की डिलीवरी में 7 साल का समय लगा था। हालांकि, नौसेना के लिए राफेल विमानों के रखरखाव के लिए पहले से तैयार इंफ्रास्ट्रक्चर से काफी मदद मिलेगी और इससे पैसा भी बचेगा।