अपनी परंपराओं का निर्वहन करना हमारी जिम्मेदारी : शिक्षाविद अवनीश भटनागर

It is our responsibility to carry forward our traditions: Educationist Avnish Bhatnagar

दुर्ग। विद्या भारती सरस्वती शिक्षा संस्थान के अंतर्गत विद्वत परिषद दुर्ग विभाग द्वारा “भारतीय ज्ञान परंपरा   एक अनमोल विरासत” विषय पर विमर्श कार्यक्रम साइंस कॉलेज दुर्ग के राधाकृष्णन हॉल में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जाने-माने शिक्षाविद एवं विचारक तथा विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  अवनीश भटनागर रहे।

अपने उद्बोधन में भटनागर ने कहा कि अपनी कुल परंपराओं का निर्वहन करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी और विरासत है। उन्होंने कहा कि भले ही किसी ग्रंथ में उल्लेख न हो, लेकिन परंपराओं का पालन करना भारतीय ज्ञान परंपरा का हिस्सा है। भारत की संस्कृति, शिक्षा और दर्शन वेद, उपनिषद, पुराण और स्मृतियों में निहित है, जिनके सहारे भारतीय समाज मजबूत और सशक्त बना है। इसी विरासत के कारण भारत को विश्व गुरु के रूप में जाना जाता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी ने की। उन्होंने कहा कि ऐसे विमर्श शिक्षा जगत में नई ऊर्जा भरते हैं और समाज को नई दिशा प्रदान करते हैं। कार्यक्रम में विद्या भारती के प्रादेशिक सचिव लक्ष्मण राव मगर और विद्वत परिषद छत्तीसगढ़ प्रांत संयोजक डॉ. सुभाष चंद्राकर भी मंचासीन रहे।

अतिथि परिचय डॉ. नीलेश शर्मा ने कराया, जबकि प्रस्तावना डॉ. सुभाष चंद्राकर ने प्रस्तुत की। उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय संचालक डॉ. राजेश पांडे और साइंस कॉलेज दुर्ग के प्राचार्य डॉ. अजय सिंह ने अतिथियों का शॉल, श्रीफल और पुष्पगुच्छ से सम्मान किया।

कार्यक्रम में शिक्षा जगत के वरिष्ठ अधिकारी, विद्या भारती के कार्यकर्ता, विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्य, प्राध्यापक, सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्यगण और शहर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉ. ज्योति धारकर और आभार प्रदर्शन डॉ. पंकज सोनी ने किया।

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