भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के अंतर्गत संबंधित अपराध में अलग-अलग शर्तों के अंतर्गत आधी या एक-तिहाई सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने का प्रविधान है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका पालन करने के लिए कहा है। इसके लिए संबंधित जेल अधीक्षकों को उन न्यायालयों में आवेदन देना है, जहां कैदियों का प्रकरण चल रहा है।
26 नवंबर को संविधान दिवस के पहले देश भर में ऐसे कैदियों के आवेदन जमानत के लिए कोर्ट में लगाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में 72 कैदियों के आवेदन अभी तक लगाए गए हैं। इनमें से 18 को जमानत मिल भी गई है। 10 की जमानत याचिका न्यायालयों ने अस्वीकृत कर दी है। बाकी 44 कैदियों की जमानत याचिका पर विचार चल रहा है। एक-दो दिन में कुछ और कैदियों की जमानत आवेदन लग सकते हैं।
पहले भी हुआ है ऐसा
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि भले ही नए कानून एक जुलाई से प्रभावी हुए हैं, लेकिन धारा 479 के प्रविधान इसके पहले से विचाराधीन कैदियों पर भी लागू होंगे। जेल महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा कि हम पहले से ही इस तरह के कैदियों की जमानत आवेदन संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत करते रहे हैं। इस पर अंतिम निर्णय न्यायालय का होगा।
इन्हें मिल सकती है जमानत
पहली बार अपराध करने वाले ऐसे कैदी, जिन्होंने उस अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की एक-तिहाई अवधि जेल में बिता दी है, उनके जमानत आवेदन लगाए गए हैं। एक से अधिक अपराध करने वालों के लिए शर्त यह है कि उन्होंने निर्धारित अधिकतम सजा की अवधि में से आधा समय विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में काट लिया हो।
जेलों में क्षमता से अधिक कैदी
बीएनएसएस में यह प्रविधान किए जाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदी न रहें। बता दें कि मध्य प्रदेश की जेलों में 43 हजार कैदी हैं, जो क्षमता से 45 प्रतिशत तक अधिक हैं। इनमें लगभग आधे विचाराधीन कैदी हैं।