मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भले ही मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करते रहे हैं, लेकिन उनके बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह की राह इस मामले में पिता से अलग दिखाई दे रही है।
भले ही दिग्विजय स्वयं को सबसे बड़ा सनातनी कहते हैं लेकिन हिंदू आतंकवाद, बाटला हाउस एनकाउंटर, आरएसएस के खिलाफ दिए उनके पहले के बयानों से समाज का एक बड़ा वर्ग नाराज रहा है। इसी को भांपकर उनके बेटे जयवर्धन सिंह का सनातनी चेहरा सामने आया है।जयवर्धन सिंह गुरुवार को कथावाचक पं. धीरेंद्र शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में शामिल हुए। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं में एकता जरूरी है और यह यात्रा किसी दल विशेष की नहीं बल्कि सनातन धर्म की है।
कमल नाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं जयवर्धन
जयवर्धन की इस राह ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपने पिता की तरह मुस्लिम परस्त राजनीति नहीं करेंगे। बता दें, जयवर्धन कमल नाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। अभी राघौगढ़ से विधायक हैं। इन दिनों जब कांग्रेस देश में जाति आधारित जनगणना की राजनीति को हवा देने में जुटी हुई है। ऐसे में जयवर्धन सिंह का यह कदम अलग ही कहा जाएगा।
29 नवंबर को ओरछा में समाप्त होगी यात्रा
बता दें, सनातन हिंदू एकता यात्रा गुरुवार से छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम से शुरू हुई और 29 नवंबर को ओरछा में समाप्त होगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा से लेकर कई बड़े भाजपा नेता इस यात्रा में शामिल हो चुके हैं। जयवर्धन का यह कदम एक बड़े वर्ग द्वारा पसंद किया जा रहा है। जयवर्धन ने पं. धीरेंद्र शास्त्री के ‘जात-पांत की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई-भाई’ जैसे नारे का साथ देकर देकर भविष्य की राजनीति भी स्पष्ट कर दी है। इसे जयवर्धन की मजबूरी कहें या कुछ और लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे, जिससे बहुसंख्यक वर्ग नाराज हो।