दिल्ली। केंद्र सरकार 1961 के एडवोकेट एक्ट में बदलाव करने के लिए अमेंडमेंट बिल लाने जा रही है, जिसके खिलाफ देशभर के वकील विरोध कर रहे हैं। यह विरोध दिल्ली से शुरू होकर 14 राज्यों तक फैल चुका है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने इस बिल को वापस लेने की मांग की है, और अगर सरकार इसे वापस नहीं लेती तो वकील हड़ताल करेंगे। वकील इन बदलावों को अपनी आजादी पर हमला मानते हुए विरोध कर रहे हैं।
विरोध के 5 मुख्य कारण
- हड़ताल और बहिष्कार पर रोक: नए बिल के तहत, वकील या उनके संगठनों को कोर्ट का बहिष्कार या हड़ताल करने से रोका जाएगा। इसका उल्लंघन पेशेवर मिसकंडक्ट माना जाएगा, और इसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
- प्रोफेशनल मिसकंडक्ट: अगर प्रोफेशनल मिसकंडक्ट के कारण किसी का नुकसान होता है, तो बीसीआई में शिकायत की जा सकेगी।
- कानूनी व्यवसायी की परिभाषा: नए बिल में कानूनी व्यवसायी की परिभाषा को विस्तृत किया गया है, जिसमें कोर्ट में वकालत करने के अलावा कॉर्पोरेट वकील, इन-हाउस परामर्शदाता और विदेशी कानूनी फर्मों में काम करने वालों को भी शामिल किया जाएगा।
- वकीलों पर सरकारी निगरानी: नए प्रस्ताव के तहत, केंद्र सरकार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) में सदस्य नामित करने का अधिकार मिलेगा, जिससे सरकार को कानून लागू करने में और अधिक शक्ति मिलेगी।
- एक बार-एक वोट की नीति: नए बिल में एक धारा जोड़ी गई है, जिसके अनुसार वकील केवल एक बार एसोसिएशन में मतदान कर सकेंगे और वे एक से अधिक बार एसोसिएशन के सदस्य नहीं हो पाएंगे। वकील इसे अपनी आजादी और वोट के अधिकार में केंद्र का दखल मान रहे हैं।