छत्तीसगढ़ में गीले कचरे से मीथेन गैस तैयार करने प्लांट लगाने के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ गई है। भारत पेट्रोलियम रायपुर और भिलाई निगम एरिया से निकलने वाले गीले कचरे की मात्रा और उससे कंप्रेस्ड बायो गैस (सीपीजी) निकालने के लिए डिटेल फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर रहा है। जिसके बाद प्लांट लगाया जाएगा। छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी के सहायक परियोजना अधिकारी लव त्यागी ने मीडिया को बताया कि, भारत पेट्रोलियम बिलासपुर में गीले कचरे से गैस तैयार करने का प्लांट ट्रेचिंग ग्राउंड कछार में लगाने के लिए एमओयू जल्द करेगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है।
बीपीसीएल ने बिलासपुर में प्लांट लगाने विजिट किया
निगम कमिश्नर अमित कुमार ने बताया कि, बीपीसीएल गीले कचरे से सीपीजी गैस तैयार करने का प्लांट लगाने के लिए इच्छुक है। इसके लिए नगर निगम को कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा और प्लांट का सारा व्यय भार कंपनी अपने सीएसआर मद से उठाएगी। उन्होंने बताया कि प्लांट लगाने के लिए निगम के ट्रेचिंग ग्राउंड कछार में बीपीसीएल को जगह उपलब्ध कराई जाएगी, इसके लिए कंपनी के अधिकारियों ने स्थल निरीक्षण कर लिया है।
35 लाख महीने की बचत का दावा
सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के नोडल अधिकारी अनुपम तिवारी का दावा है कि 100 टन गीले कचरे से 60 फीसदी मीथेन गैस तैयार की जा सकेगी। इसका उपयोग डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में लगे वाहनों के संचालन में किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि कचरा गाड़ियों में अभी प्रति माह 35 लाख रुपए का डीजल, पेट्रोल खर्च हो रहा है, जिसकी बचत होगी। वर्तमान में बिलासपुर शहर में रामकी द्वारा कचरा इकट्ठा करने के लिए 73 टिपर और 9 कांपेक्टर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
बिलासपुर से हर माह 245 टन कचरा निकल रहा
बीपीसीएल को कंप्रेस्ड बायो गैस तैयार करने के लिए प्रति दिन न्यूनतम 100 टन गीले कचरे की जरूरत होगी। जबकि शहर में प्रति दिन रामकी द्वारा पुराने नगर निगम एरिया से 200 टन और पंचायत क्षेत्रों के एसएलआरएम सेंटर से 45 टन कचरा इकट्ठा किया जा रहा है। जाहिर है कि गैस तैयार करने के लिए गीले कचरे की कमी नहीं रहेगी।