भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी नगरीय निकाय चुनाव से पहले मतदाता सूची पर बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस पार्टी लंबे समय से चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेरफेर के गंभीर आरोप लगाती आ रही है। पार्टी का कहना है कि लाखों फर्जी नाम जोड़े गए हैं और कई असली मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं। इसी को आधार बनाकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठा रहे हैं। अब मामला निकाय चुनाव की मतदाता सूची से साफ हो सकता है।
दरअसल, निकाय चुनाव की मतदाता सूची भी चुनाव आयोग की वोटिंग लिस्ट पर आधारित होती है। ऐसे में 13 नवंबर तक तैयार होने वाली नई सूची से यह स्पष्ट होगा कि वास्तव में गड़बड़ी हुई है या नहीं। अगर सूची में छेड़छाड़ सामने आई, तो कांग्रेस के आरोपों को मजबूती मिलेगी, अन्यथा इसे विपक्ष का राजनीतिक एजेंडा माना जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने सभी जिलों के कलेक्टर और चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित की जाए। किसी मतदाता का नाम छूटना नहीं चाहिए। इसी सूची के आधार पर दिसंबर में पंचायत और निकाय चुनाव होंगे।
कांग्रेस का आरोप है कि 2023 विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई थी। विपक्ष के मुताबिक, सात माह में 4.64 लाख और महज दो महीने में 16 लाख मतदाता बढ़े थे। वहीं भाजपा का कहना है कि पुनरीक्षण के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी।
अब सबकी निगाहें 13 नवंबर तक आने वाली नई सूची पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ के आरोप सही हैं या यह केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा है।