सुप्रीम कोर्ट का देशभर की अदालतों को बड़ा निर्देश, मंदिर-मस्जिद पर अब नया मुकदमा नहीं करना दर्ज

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दिल्ली। प्लेसेज आफ वर्शिप (उपासना स्थल) एक्ट 1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों को बड़ा निर्देश जारी किया है। पीठ ने कहा, जब तक सुप्रीम कोर्ट में ‘प्लेसेज आफ वर्शिप’ एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रहेगी, तब तक मंदिर-मस्जिद विवाद का कोई नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत द्वारा दर्ज नहीं किया जाएगा।

हालांकि जो मामले पहले से लंबित हैं, उनकी सुनवाई जारी रह सकती है। मगर निचली अदालत उक्त मामलों में कोई भी प्रभावी या अंतिम आदेश न दे। किसी मामले में फिलहाल सर्वेक्षण का आदेश न दिया जाए। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, हमने यह आदेश सामाजिक सद्भाव व शांति बनाए रखने के उद्देश्य से जारी किया है। सुनवाई के दौरान किसी नए मुकदमे से विवाद बढ़ सकता है। ज्ञात हो कि 2020 में वकील अश्विनी उपाध्याय ने इस मामले में एक याचिका दायर की थी।

उपाध्याय ने उपासना स्थल एक्ट के उन प्रावधानों को खत्म करने की मांग की थी, जो किसी धार्मिक स्थल को उसके पुराने स्वरूप में आने से रोकते हैं। इस याचिका पर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था। इसके बाद इसी कानून को चुनौती देते हुए कई अन्य याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों को उनके धार्मिक स्थलों को दोबारा स्थापित करने के अधिकार को खत्म करता है। वहीं, इस कानून को बनाए रखने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और कई राजनीतिक दलों ने भी हस्तक्षेप आवेदन दायर किए हैं।

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