दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची की स्क्रीनिंग को लेकर मचे राजनीतिक विवाद के बीच चुनाव आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगी। आयोग ने देश के सभी राज्यों में घर-घर जाकर वोटर की नागरिकता की पुष्टि करने की योजना बनाई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी गैर-भारतीय नागरिक वोटर लिस्ट में शामिल न हो।
सूत्रों के मुताबिक, अगला चरण उन राज्यों में शुरू होगा, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं – जैसे असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी। खासकर असम और बंगाल में इस प्रक्रिया की सबसे बड़ी परीक्षा होगी, जहां बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर पहले से राजनीति गर्म है।
2029 के पहले स्क्रीनिंग पूरा करने का टारगेट
ECI की योजना के अनुसार, 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में वोटर लिस्ट की स्क्रीनिंग पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद के चरण में उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हिमाचल, गोवा और मणिपुर जैसे राज्यों को शामिल किया जाएगा, जहां 2027 में चुनाव होने हैं।
इस कवायद को लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है। बुधवार को बिहार में चक्का जाम का ऐलान किया गया है। ADR और अन्य विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि नागरिकता तय करना आयोग का नहीं, सरकार का काम है। साथ ही आधार या राशन कार्ड को नागरिकता का प्रमाण मानने पर आपत्ति जताई गई है। बिहार में अब तक 7.7 करोड़ फॉर्म बांटे जा चुके हैं, जिनमें से करीब 3.7 करोड़ जमा हुए हैं। 18% से अधिक फॉर्म ऑनलाइन अपलोड किए गए हैं। फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई रखी गई है।