केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र या बजट सत्र के दौरान ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक पेश कर सकती है। इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जा सकता है। एक देश, एक चुनाव पर कोविंद समिति की रिपोर्ट पर मोदी कैबिनेट मंजूरी दे चुकी है। सरकार चाहती है कि इस बिल पर आम सहमति बने। सरकार इस बिल पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी ।
आपको बता दे , कि सरकार पिछले कुछ समय से एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही है. सरकार का तर्क है कि मौजूदा इलेक्शन सिस्टम समय, पैसे और वर्कफोर्स को बर्बाद कर रही है। चुनाव से पहले घोषित आदर्श आचार संहिता से विकास के कामों में ब्रेक लग जाता है। एक साथ चुनाव कराने से समय पैसे और वर्कफोर्स की बचत होगी। सरकार के तर्को को विपक्ष ने अव्यावहारिक बताया है। विपक्षी दलों ने राज्य में चुनाव कराने में चुनाव आयोग के सामने आने वाली तार्किक चुनौतियों की ओर इशारा किया है।
‘एक देश, एक चुनाव’ लागू करने के लिए बनी थी कमेटी
वन नेशन वन इलेक्शन का प्रोसेस तय करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी, इसमें 8 सदस्य थे। कोविंद कमिटी का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। कमिटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।