छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर ब्लॉक में आदिवासी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोग नाला का पानी पीने को मजबूर हैं। पिपराडीह गांव में लगभग 70 से 80 घर है।
400 से ज्यादा की आबादी है। यहां दो हैंडपंप है, दोनों हैंडपंप खराब हो चुके हैं। सीता कुंवर ने बताया गांव के दोनों हैंड पंप खराब है। एक में लाल पानी निकलता है तो दूसरे में पानी ही नहीं निकलता है। गांव के लोगों को नाला का गंदा पानी पीना पड़ रहा है। पहाड़ों के उबड़-खाबड़ रास्तों पर रोजाना 1 किमी पैदल चलकर पानी लाते हैं।
सरपंच से लेकर कलेक्टर तक शिकायत
लोगों का कहना है कि जिम्मेदारों से शिकायत करने के बाद भी यहां के हालत नहीं सुधरे हैं। सरपंच से लेकर कलेक्टर तक को समस्या को मौखिक और लिखित तौर पर दी जा चुकी है, लेकिन किसी ने समस्याएं नहीं सुनी। पंडो जनजाति के परिवारों का कहना है कि जंगल पहाड़ को पार कर नाला तक पहुंचते हैं। भालू और हाथियों का हमेशा डर बना रहता है। यह क्षेत्र भालू और जंगली जानवरों से भरा पड़ा है। ऐसे में जान जोखिम में डालकर पानी लेने जाते हैं। जब इस समस्या पर जनपद पंचायत के सीईओ से बात की गई, तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने आश्वासन दिया कि गांव में जल्द ही व्यवस्थाओं को ठीक किया जाएगा।