दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को रेयर अर्थ एलिमेंट (दुर्लभ मृदा तत्व) के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना होगा। वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों में यह देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगा।
उन्होंने कहा कि ये तत्व रेयर इसलिए नहीं हैं कि इनकी उपलब्धता कम है, बल्कि इसलिए क्योंकि इनकी पहचान और उत्पादन की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है। स्वदेशी तकनीक के विकास से इस जटिल प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है। राष्ट्रपति ने बताया कि स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में रेयर अर्थ एलिमेंट बेहद जरूरी हैं। ये 17 विशेष रासायनिक तत्व आधुनिक तकनीक का अहम हिस्सा हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह एआई, सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा का युग है। खनन क्षेत्र में एआई, मशीन लर्निंग और ड्रोन-आधारित सर्वेक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने जोर दिया कि खदानों के अवशेषों से भी मूल्यवान तत्व प्राप्त करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष कई हिस्सों में बादल फटने और भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में समय पर चेतावनी और अनुसंधान बेहद जरूरी है। राष्ट्रपति ने भूवैज्ञानिक समुदाय से अपील की कि वे बाढ़, भूस्खलन, भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं पर शोध को प्राथमिकता दें।
राष्ट्रपति मुर्मु का यह संबोधन न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में संसाधनों के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि विज्ञान और तकनीक के माध्यम से सतत विकास की आवश्यकता को भी सामने लाता है।