छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के उरला इलाके से ढाई साल पहले चार साल के हर्ष का अपहरण कर जिंदा जलाकर हत्या करने के मामले में कोर्ट ने सख्त सजा दी है। अदालत ने मामले के दोषी पंचराम गेंड्रे को गुरुवार को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि अपराधी पंचराम ने हर्ष के साथ उसके बड़े भाई को भी जलाकर मारने प्लानिंग की थी।
वह दोनों को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जा रहा था। बड़े भाई ने ऐन समय में उसके साथ जाथे से मना कर दिया। इससे उसकी जान बच गई। आरोपी बच्चे की मां से एक तरफा प्रेम करता था। वह उससे बात नहीं करती थी। उसी को सबक सिखाने के लिए उसने बच्चे की हत्या कर दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा ऐसे कृत्य करने वाले समाज में रहने योग्य नहीं है, इसलिए मृत्यु दंड दिया जाता है।
उरला के चर्चित हर्ष हत्याकांड में फोरेंसिक रिपोर्ट, तकनीकी जांच, डीएनए टेस्ट और आरोपी के कबूलनामे के साथ 8 साल के दिव्यांश का बयान सबसे अहम रहा। उरला के तत्कालीन टीआई भरत बरेठ के अनुसार दोषी उरला निवासी पंचराम गेंड्रे (38) मजदूरी करता था। वह अपनी मां के साथ रहता था। उसके पड़ोस में जयेंद्र चेतन का घर था। पंचराम का जयेंद्र के घर आना जाना था। इस दौरान वह जयेंद्र की पत्नी को पसंद करने लगा। लेकिन वह उसके बच्चों से नफरत करता था, क्योंकि जयेंद्र की पत्नी दोनों बच्चों दिव्यांश और हर्ष की देखभाल में व्यस्त रहती थी। उसने युवती का साथ पाने के लिए बच्चों की हत्या की प्लानिंग की। इसी साजिश के तहत 5 अप्रैल 2022 की सुबह 10 बजे वह जयेंद्र के घर गया।
उस समय जयेंद्र काम पर गया था। पंचराम हर्ष और दिव्यांश को घुमाने का झांसा देकर अपने साथ ले गया। दोनों भाइयों को वह करीब आधे घंटे तक उरला इलाके में बाइक पर घुमाता रहा। फिर दोनों को नहाने के लिए नदी पर चलने को कहा। दिव्यांश ने मना कर दिया और घर छोड़ने के लिए कहने लगा। बाद में पंचराम दिव्यांश को दरवाजे पर छोड़ गया, लेकिन हर्ष साथ चला गया। इसी दिन दोपहर को जयेंद्र चेतन और उसकी पत्नी थाने पहुंचे। उन्होंने शिकायत की कि सुबह 10 बजे से उनका चार साल का बेटा हर्ष गायब है। उसे पड़ोसी पंचराम अपने साथ ले गया था। वह लौटकर नहीं आया है। तब हर्ष की तलाश शुरू की गई।
एक टीम पंचराम के घर भेजी गयी। पंचराम की मां ने बताया कि वह सुबह से गया था, तब से लौटा नहीं। तब साफ हो गया कि बच्चा पंचराम के साथ ही है। सीसीटीवी कैमरे, मोबाइल लोकेशन में पंचराम का पता लग गया। पता चला कि वह नागपुर पहुंच गया है। वहां छापा मारकर उसे पकड़ लिया गया। उसने पूछताछ में कबूल किया कि उसने हर्ष को जलाकर मार दिया है। बाद में घटनास्थल से हर्ष के अवशेष बरामद किए गए। डीएनए टेस्ट में साबित हो गया कि वह हर्ष ही था। इसमें 19 लोगों के गवाह बनाया गया। दिव्यांश ही घटना का प्रत्यक्षदर्शी था। उसने पूरी घटना के बारे में बताया। उसी के बयान पर मृत्युदंड की सजा हुई।
चार्जशीट में ही लिखा विरलता से विरल मामला, कठोर हो सजा
टीआई भरत ने मामले की पूरी जांच की। इसी दौरान उनका तबादला हो गया। उसके बाद तत्कालीन टीआई सुरेश ध्रुव ने जांच पूरी की और चार्जशीट पेश किया। उन्होंने बताया कि पूरी जांच, गवाही और रिपोर्ट के आधार पर चार्जशीट में ही लिख दिया गया था कि चार साल के मासूम बच्चे की जघन्य हत्या आरोपी ने की है। उसने बच्चे के ऊपर पेट्रोल डालकर उसे जलाया है। आरोपी का यह घिनौना कृत्य दिल दहला देने वाला है। यह सामाजिक मूल्यों के साथ कुठारा घात करने वाला है। सामाजिक परिवेश में इस तरह की घटना से जनमानस में व्यापक प्रतिक्रिया परिलक्षित हुई है।
यह केस विरलतम से विरल है। इसमें आरोपी को कठोर कारावास होना चाहिए। क्योंकि एक मासूम बच्चे को पूरी प्लानिंग के साथ जिंदा जलाया है। वह घटना की सुबह पेट्रोल पंप गया। वहां अपनी बाइक में दो लीटर पेट्रोल डलवाया। फिर एक लीटर बोतल में डलवाकर डिक्की में रख लिया। वह दोनों भाइयों को जिंदा जलाना चाहता था। लेकिन एक ही बच्चा साथ गया। आरोपी घटना के बाद रायपुर से भिलाई गया। जहां 25 हजार में अपनी बाइक बेच दी। वहां से 15 हजार एडवांस लेकर नागपुर चला गया। वहां दो दिनों तक छिपा रहा। इस दौरान अपने रिश्तेदार से घटना की जानकारी लेता रहा। आरोपी मृतक की मां से एक तरफा प्रेम करता था। जबकि महिला उसे पसंद तक नहीं करती थी।
अब मिला हर्ष को इंसाफ
रायपुर अदालत के फैसले पर मृतक हर्ष के पिता जयेंद्र और मां ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमें इंसाफ मिला है। उन्होंने कहा है कि ऐसे व्यक्ति को जिंदा रहना ही समाज के लिए घिनौना है। ऐसे व्यक्ति को जिंदा ही नहीं रहना चाहिए, जिसमें मानवता ही नहीं है। एक बच्चे के लिए जिसमें स्नेह और दया ही नहीं है।