रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर का रायपुर में अटका, NHAI पीएमओ से करेगा शिकायत

राज्य की सबसे अहम सड़क रायपुर-विशाखापट्टनम (वाइजैग) इकोनॉमिक कॉरिडोर के पहले फेस का काम पिछले दो महीने से बंद है। वजह यह है कि सड़क बनाने के लिए 600 मीटर जमीन पर मुआवजे का बड़ा खेल खेला गया है। नियमों के मुताबिक जमीन का मुआवजा करीब 30 करोड़ का होता है, लेकिन अभनपुर के गांव नायक बांधा और उरला के किसानों ने तहसील अफसरों के साथ मिलकर बड़े खसरे को काटकर 159 छोटे खसरे बना दिए।

इस वजह से मुआवजा पाने वालों में 80 नए नाम जुड़ गए। 600 मीटर जमीन की कीमत करीब 30 करोड़ से बढ़कर 78 करोड़ रुपए पहुंच गई। मुआवजे की रकम के लिए फाइल एनएचएआई के अफसरों के पास पहुंची तो वे दंग रह गए।

प्रारंभिक जांच में ही यह साबित हो गया कि कागजों में खेल कर फर्जीवाड़े की रकम दोगुने से भी अधिक कर दी गई है। इस वजह से केंद्र सरकार ने मुआवजा रोक दिया। इससे नाराज किसानों का कहना है, जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, काम शुरू नहीं होने देंगे। ठेकेदार ने कई बार काम शुरू भी किया तो गांववाले लाठी-डंडे लेकर आ गए। उन्होंने किसी को काम करने नहीं दिया।

एक छोटे से हिस्से की वजह से सड़क का काम आगे नहीं बढ़ रहा है। यही वजह है कि इस मामले में एनएचएआई के अफसरों ने सीधे संभागीय कमिश्नर और कलेक्टर से मदद मांगी है। उनका कहना है कि इतनी सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए कि उनका काम पूरा हो सके। अफसर पीएमओ से शिकायत करने की तैयारी में हैं।

ऐसे मिलेगी राहत: रायपुर से वाइजैग की दूरी 83 किमी घटेगी

वर्तमान में रायपुर से विशाखापट्टनम की दूरी करीब 546 किलोमीटर है। कॉरिडोर बन जाने से यह दूरी घटकर 463 किमी हो जाएगी। यानी 83 किमी कम। कॉरिडोर में प्रवेश करने के बाद यात्री कम समय में वहां पहुंच सकेंगे। कॉरिडोर कुल 464 किमी का है। यह सड़क तीन राज्यों से होकर गुजरेगी।

छत्तीसगढ़ में 124.611 किमी, ओडिशा में 262.211 किमी और आंध्रप्रदेश में 99.629 किमी का हिस्सा है। लागत करीब 4 हजार करोड़ रुपए है। केशकाल की पहा​ड़ियों के अंदर से सुरंगनुमा सड़क बनाई जा रही है। यह सुरंग दुधावा डैम के पास से होते हुए कांकेर-केशकाल की पहा​ड़ियों से होकर एक्सप्रेस-वे सलना-पलना के बाद ओडिशा में प्रवेश करेगी।

छत्तीसगढ़ की कुल 124 किमी सड़क तीन कंपनियां बना रही हैं। पहले चरण 42 किमी का काम 29 सितंबर 2022 को काम शुरू हुआ था। इसे 29 दिसंबर 2024 तक बनाकर देना है। लेकिन भू-अधिग्रहण में गड़बड़ी उजागर होने के बाद प्रोजेक्ट में 4-5 माह की देरी होने की पूरी आशंका है। एनएचएआई के रीजनल ऑफिसर एमटी अत्तरदे ने बताया, कि रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर के काम को फिलहाल किसानों ने बंद करा दिया है। काम शुरू करने के लिए कलेक्टर को चिट्ठी लिखी गई है। अब इस मामले में जल्द ही पीएमओ में भी शिकायत की जाएगी, क्योंकि तय समय सीमा में काम पूरा करना है।  

ऐसे हुआ खेल: 20 लाख की जगह 1 करोड़ पहुंचा 1 एकड़ का मुआवजा

जमीन अधिग्रहण के नियमों के अनुसार ग्रामीण अंचल में 500 वर्गमीटर से कम जमीन है तो उसका मुआवजा अधिक मिलता है। जमीन 500 वर्गमीटर से ज्यादा है तो उसका पैसा कम मिलता है। यानी एक एकड़ जमीन का मुआवजा 20 लाख होगा।

इसे टुकडों में बांटकर 500 वर्गमीटर से कम कर दिया जाए तो मुआवजा बढ़कर करीब एक करोड़ रुपए हो जाएगा। रायपुर- विशाखापट्टनम कॉरिडोर के पास होते ही बड़े रसूखदारों और किसानों ने अफसरों से मिलकर ज्यादातर जमीन को 500 वर्गमीटर से कम कर दिया। इससे मुआवजे की रकम करीब पांच गुना बढ़ गई। शक होने पर अफसरों ने जांच कराई।

जिम्मेदारों पर क्या किया: सस्पेंड हो चुके हैं नायब तहसीलदार, 3 पटवारी

अभनपुर के दोनों गांवों में तहसील अफसरों ने जमीन मालिकों को अधिग्रहण के दौरान वास्तविक से ज्यादा मुआवजा दिलवा दिया। ​यह सब मिलीभगत से हुआ। यही वजह है कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आते ही गोबरा नवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन को निलंबित कर दिया गया। इस मामले में कुछ और अफसरों की भूमिका संदिग्ध है। जांच जारी होने का हवाला देकर उन पर कार्रवाई नहीं की गई है।

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