छत्तीसगढ़ में एक तरफ 70 से अधिक पैथ लैब में ऑटोमेटिक मशीनों से होने वाली 100 से अधिक जांच रीएजेंट की किल्लत के कारण नहीं हो पा रही हैं। दूसरी ओर, स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के खून की जांच में उपयोग होने वाला रीएजेंट (केमिकल) पिछले साल इतनी ज्यादा मात्रा में खरीद लिया कि 10 करोड़ से ज्यादा का केमिकल गोदाम में ही एक्सपायर हो गया।
12 करोड़ रुपए का केमिकल अभी भी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के गोदाम में पड़ा है, जो 31 दिसंबर को एक्सपायर हो जाएगा। इतना ही नहीं करोड़ों का यही केमिकल प्रायमरी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के फ्रीजर्स में पड़ा है। इनमें से ज्यादातर की एक्सपायरी दिसंबर ही है। अस्पतालों में इनका उपयोग तो दूर पैकेट तक नहीं खोले गए हैं, क्योंकि ये रीएजेंट बहुत कम उपयोग में आते हैं। ब्रेन, लीवर, हार्ट या किडनी के ट्रांसप्लांट के पहले जब खून की जांच कराई जाती है, तब इनकी जरूरत पड़ती है। कांग्रेस सरकार में एक साथ 450 करोड़ के रीएजेंट की खरीदी की गई थी। उसी दौरान बेहद कम उपयोग में आने वाले रीएजेंट को भी खरीदा गया था। स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें ऐसे हेल्थ सेंटरों में सप्लाई करवा दिया, जहां लैब तकनीशियन तो दूर लैब तक नहीं थे।
फ्रिज में रखे गए पैकेट, एक साल से ऐसे ही पड़े हैं
राजधानी और आउटर के करीब आधा दर्जन हेल्थ सेंटरों में पहुंचकर ये जानकारी ली कि वहां स्टॉक डंप है या नहीं। इस दौरान सीजीएमएससी के गोदाम के अलावा, खमतराई और भनपुरी, बिरगांव के अलावा मंदिरहसौद, मानिकचौरी, खरोरा, आरंग और उनके आस-पास के हेल्थ सेंटरों में फ्रिज में स्टॉक डंप मिला। उपयोग क्यों नहीं हुआ? पूछने पर पता चला कि यहां जांच के लिए लैब ही नहीं है। इसके बावजूद केमिकल भेज दिया, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग को उस समय रीएजेंट खपाना था। इस वजह से अफसरों ने ये तक चेक नहीं किया कि जहां ये केमिकल सप्लाई किया जा रहा है वहां लैब तकनीशियन या पैथालॉजी लैब है या नहीं? राज्य के लगभग सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की सूची निकलवाई और एक निर्धारित मात्रा में स्टॉक सप्लाई कर दिया।
एक कंपनी को ऑर्डर, एक ही खेप में पूरी सप्लाई
पिछले साल स्वास्थ्य विभाग की डिमांड पर छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन सर्विसेस सीजीएमएससी ने रीएजेंट की खरीदी का ऑर्डर दिया था। ये एक ही कंपनी को दिया गया था। उसे दो खेप में सप्लाई के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उसने 15 दिन के भीतर ही पूरा स्टॉक सप्लाई कर दिया। 450 करोड़ से ज्यादा का स्टॉक एक साथ सप्लाई होने से सीजीएमएससी के गोदाम में रखने जगह नहीं बची। इसलिए आनन-फानन में सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया कि वे स्टॉक को अपने गोदामों और हेल्थ सेंटरों में सप्लाई करें।
उसी हिसाब से रीएजेंट केमिकल सप्लाई कर दिया गया। सप्लाई के पहले ये भी चेक नहीं किया गया कि रीएजेंट की एक्सपायरी डेट कब है। सीजीएमएससी की एमडी पद्मनी भोई ने बताया कि हमें डंप स्टॉक की जानकारी मिली तो सभी जगह चिट्ठी भेजी गई। जिन्होंने पत्र का जवाब दिया, वहां से अतिरिक्त स्टॉक मंगवाकर गोदाम में रखवाया गया, ताकि डिमांड आने पर सप्लाई करें। डिमांड ही नहीं आई इसलिए रीएजेंट एक्सपायर हो रहे हैं।