दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों दक्षिण अमेरिका के दौरे पर हैं, जहां वे राजनीतिक नेताओं, छात्रों और व्यापारिक वर्ग से संवाद कर रहे हैं। इस यात्रा में उनके साथ लगातार नजर आ रहे सैम पित्रोदा को लेकर नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है। हाल ही में वरिष्ठ कांग्रेसी पी. चिदंबरम ने कहा था कि पित्रोदा विदेश नीति पर राहुल को मार्गदर्शन नहीं देते, लेकिन राहुल के कोलंबिया के बोगोटा दौरे में उनकी मौजूदगी इस दावे को सवालों के घेरे में लाती है।
विश्लेषकों का मानना है कि 90 वर्षीय पित्रोदा की उपस्थिति केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि वे राहुल गांधी के करीबी मार्गदर्शक और सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं। गौरतलब है कि पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और उन्होंने राहुल गांधी की अमेरिका व यूरोप की कई यात्राओं का भी आयोजन किया था।
भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि पित्रोदा के विचार कांग्रेस की वैचारिक दिशा को तय करते हैं और राहुल उन्हीं से प्रभावित होकर बयान देते हैं। उनका आरोप है कि राहुल गांधी के कई वक्तव्यों से भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि धूमिल होती है।
कांग्रेस की ओर से हालांकि इस पर सीधा जवाब नहीं दिया गया है। पार्टी का कहना है कि विदेश दौरों का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भारतीय प्रवासी समाज और लोकतांत्रिक मूल्यों के मुद्दों पर संवाद करना है। लेकिन भाजपा का तर्क है कि राहुल की विदेश यात्राएं केवल भारत सरकार की नीतियों की आलोचना का मंच बन जाती हैं।
राहुल गांधी की इस यात्रा और पित्रोदा की मौजूदगी से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस की विदेश नीति और रणनीति पर सैम पित्रोदा का प्रभाव लगातार बना हुआ है।