कांकेर। कांकेर के आमाबेड़ा और बड़े तेवड़ा गांव में पिछले चार दिन से बने तनाव का माहौल अब धीरे-धीरे शांत हो रहा है। दुकानें-बाजार सामान्य दिन की तरह खुलने लगे हैं और कुछ फोर्स हटाई जा रही हैं, लेकिन क्रिसमस को देखते हुए मसीही धर्म के अनुयायियों के घरों और आसपास के चर्चों पर पुलिस का कड़ा पहरा अब भी जारी है।
चार दिन पहले बड़े तेवड़ा में धर्मांतरित सरपंच रजमन सलाम के पिता के शव को दफनाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। इसके बाद कई परिवार अपने घर छोड़ गए और गांव में ताले लग गए। आमाबेड़ा में 22 धर्मांतरित परिवार रहते हैं और यहां एक बड़ा चर्च है, जहां आसपास के आठ गांवों से लोग प्रार्थना करने आते हैं।
इतिहास में करीब 28 साल पहले पुलिस जवान जेएस उसेंडी के धर्म प्रचार के कारण बड़े तेवड़ा व छोटे तेवड़ा में कई परिवारों ने ईसाई धर्म अपनाया। विवाद के कारण अब गांव वाले नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि धर्म बदलने वाले लोग पारंपरिक रीति-रिवाज नहीं मानते।
सरपंच के पिता के शव को 18 दिसंबर को प्रशासन ने गांव से बाहर भेज दिया। शव कहां है, यह गोपनीय रखा गया है। सोशल मीडिया पर अफवाहें भी फैलीं कि शव चारामा के तेलगुड़ा में अंतिम संस्कार हुआ।
कलेक्टर कांकेर नीलेश महादेव क्षीरसागर ने बताया कि बड़े तेवड़ा में हालात नियंत्रण में हैं। पुलिस और प्रशासन ने समन्वय से काम किया और शांति बहाल की।
प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी विवाद हैं। बस्तर में धर्मांतरित लोगों के शव दफनाने को लेकर चार ब्लॉकों में तनाव है। कटघोरा में प्रार्थना सभाओं को लेकर विवाद जारी है। जशपुर में चर्चों की जमीन को लेकर कोर्ट में मामले चल रहे हैं। इन सभी घटनाओं के मद्देनजर पुलिस सभी चर्चों और मसीही घरों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

