दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया ने 10 दिसंबर 2025 से नया कानून लागू किया है, जिसके तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स चला नहीं पाएंगे। यह कदम Online Safety Amendment (Social Media Minimum Age) Bill 2024 के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को मानसिक तनाव, साइबर बुलिंग, डेटा लीक और ऑनलाइन शोषण से बचाना है।
नया कानून बच्चों या उनके माता-पिता पर कोई जिम्मेदारी नहीं डालता, बल्कि पूरी जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर है। किसी उल्लंघन की स्थिति में प्लेटफॉर्म्स को 49.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। Meta (Instagram, Facebook, Threads) ने 4 दिसंबर से ही नाबालिग अकाउंट्स को लॉक करना शुरू कर दिया है। कंपनियों ने बच्चों और अभिभावकों को डेटा डाउनलोड करने और अकाउंट ‘फ्रीज़’ करने का विकल्प भी दिया है, ताकि बच्चे 16 साल पूरे होने पर दोबारा लॉग-इन कर सकें।
बिल का उद्देश्य
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बच्चों को सोशल मीडिया के जोखिमों से बचाना: ऑस्ट्रेलिया में अनुमानित 4.4 लाख बच्चे स्नैपचैट पर, 3.5 लाख इंस्टाग्राम पर और 1.5 लाख फेसबुक पर हैं। सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया साइबर बुलिंग, मानसिक तनाव और ऑनलाइन शिकारी जैसी समस्याएँ बढ़ाता है।
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टेक कंपनियों पर जिम्मेदारी: उल्लंघन होने पर जुर्माना कंपनियों पर ही लगेगा।
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लागू प्लेटफॉर्म्स: Facebook, Instagram, Kick, Reddit, Snapchat, Threads, TikTok, Twitch, X, YouTube। छूट प्राप्त प्लेटफॉर्म्स: Discord, Messenger, Pinterest, Roblox, WhatsApp, YouTube Kids।
कैसे होगी उम्र की पुष्टि
प्लेटफॉर्म्स अब हर यूज़र की सही उम्र जांचेंगे। इसके लिए AI फेस/आवाज़ विश्लेषण, उपयोग पैटर्न, स्कूल समय गतिविधि, अकाउंट की उम्र, सोशल ग्राफ़, सरकारी पहचान पत्र या Family-managed accounts जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों की प्राइवेसी बनी रहे और उन्हें सिर्फ उचित सामग्री दिखाई जाए।
विरोध और विवाद
कई बच्चे और परिवार इस कानून के खिलाफ हैं। ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में कुछ बच्चों ने संवैधानिक चुनौती भी दायर की है, यह कहते हुए कि यह उनके अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन है। टेक कंपनियों ने भी कानून में जल्दबाज़ी का आरोप लगाया, लेकिन ज्यादातर कंपनियां पालन के लिए तैयार हो गई हैं।
भारत में स्थिति
भारत में Digital Personal Data Protection Act, 2023 और IT Rules 2021 मौजूद हैं, लेकिन ये सीधे 16 साल से कम उम्र पर बैन नहीं लगाते। भारत में उम्र सत्यापन तकनीकें महंगी और जटिल हैं, और बच्चों को प्रतिबंधित करना संवैधानिक और सामाजिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है।
ऑस्ट्रेलिया का यह कदम दुनिया भर में सोशल मीडिया रेगुलेशन की दिशा में एक बड़ा उदाहरण माना जा रहा है, और अन्य देशों जैसे डेनमार्क, यूरोपीय संघ और मलेशिया भी इसी तरह के नियम पर विचार कर रहे हैं।

