दिल्ली। न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्टों को अपनी वेबसाइटों पर एक विशेष डैशबोर्ड बनाने का निर्देश दिया है। इस डैशबोर्ड पर 31 जनवरी 2026 के बाद सुरक्षित रखे गए, सुनाए गए और अपलोड किए गए फैसलों की पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करानी होगी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की द्विसदस्यीय पीठ ने बुधवार को यह आदेश दिया। पीठ ने झारखंड हाई कोर्ट सहित कई हाईकोर्टों की आलोचना की, जहां अंतिम दलीलें पूरी होने के बाद भी वर्षों तक फैसले लंबित रहे। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों की जानकारी जनता को होनी चाहिए ताकि न्यायपालिका की जवाबदेही स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “सभी को पता होना चाहिए कि कितने फैसले सुरक्षित रखे गए हैं, कितनों पर आदेश पारित हुए हैं और उन्हें वेबसाइट पर कब अपलोड किया गया।” वहीं, जस्टिस बागची ने कहा कि डैशबोर्ड के माध्यम से न्यायपालिका की पारदर्शिता और जनता के प्रति उत्तरदायित्व को बल मिलेगा।
यह फैसला उस याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें शिकायत की गई थी कि झारखंड हाई कोर्ट ने अंतिम दलीलें सुनने के बाद भी वर्षों तक फैसला नहीं सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही वहां के कई मामलों में निर्णय हुआ और कुछ अभियुक्तों को बरी किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने अब सभी हाईकोर्टों से ऐसे मामलों का ब्यौरा मांगा है, जिनमें फैसला सुरक्षित रखे जाने के बावजूद महीनों या वर्षों तक निर्णय लंबित रहा। साथ ही इलाहाबाद, पंजाब एवं हरियाणा, पटना, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख, केरल, तेलंगाना और गुवाहाटी हाई कोर्टों को दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

