छत्तीसगढ़ में भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण गठन का सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दो महीने की समय सीमा तय

Supreme Court orders formation of land acquisition authority in Chhattisgarh, two month deadline set

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों और जमीन मालिकों के लिए राहत की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन प्राधिकरण के गठन का आदेश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने दो महीने की समयसीमा तय की है और समय पर गठन न होने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

यह मामला सारंगढ़-बिलाईगढ़ निवासी बाबूलाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अभिनव श्रीवास्तव ने बताया कि 2018 से राज्य में प्राधिकरण का गठन नहीं हुआ है, जिससे मुआवजा और ब्याज से जुड़ी सैकड़ों अर्जियां लंबित हैं।

राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लेकिन कोर्ट ने पाया कि वर्षों से प्राधिकरण निष्क्रिय है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि 2 महीने में प्राधिकरण गठित करें। 2018 में अधिनियम लागू हुआ था, जिसमें अनुच्छेद 5(a) के अनुसार, विवादों के निपटारे के लिए प्राधिकरण जरूरी है। लेकिन प्राधिकरण के अभाव में किसानों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आदेश के बावजूद प्रभावित लोग अपने मुआवजे या ब्याज के अधिकार से वंचित नहीं रहेंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने पूर्व में जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

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