छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्री के लिए नए ऑनलाइन एप से जितनी आसानी हो रही है उतनी परेशानी भी बढ़ रही है। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत जो मकान या जमीन खरीदी-बिक्री करनी है उसकी फोटो खींचकर उसे अपलोड करने में हो रही है। स्पॉट पर लोगों को जमीन की अक्षांश, देशांतर और चौहद्दी समझ नहीं आ रही है। इसमें थोड़ी भी गलती होने पर फोटो ऑनलाइन एप में डाउनलोड ही नहीं हो रहा है।
इस वजह से रजिस्ट्री करने में दिक्कत हो रही है। सिस्टम चालू करने के साथ दावे किए गए थे इससे जमीन खरीदी-बिक्री का फर्जीवाड़ा रूकेगा। रजिस्ट्री के समय पता चला जाएगा कि अब तक किसने किसने खरीदी और कब बिक्री की। ये सिस्टम भी चालू नहीं हुआ। नामांतरण भी तुरंत नहीं हो रहा है। उल्टे परेशानी बढ़ गई है। नए सिस्टम के खिलाफ वकीलों ने एक तरह से मोर्चा खोल दिया है। वकीलों का कहना है कि रजिस्ट्री की संख्या आधी हो गई है। बार एसोसिएशन ने आईजी महानिरीक्षक, कलेक्टर और जिला पंजीयक से मिलकर तकनीकी दिक्कत बताई है। लगातार शिकायतों के बाद इस मामले को लेकर मंत्रालय के अफसर भी अलर्ट हो गए हैं। नए एप से रजिस्ट्री का सिस्टम चालू करने के साथ ही दावा किया गया था कि तहसील में उसी समय जमीन का नामांतरण भी हो जाएगा।
लेकिन अभी भी जमीन की रजिस्ट्री के बाद भी लोगों को नामांतरण के लिए तहसील दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। विभाग की ओर से ये भी कहा गया था कि इस एप से आम लोग संपत्ति की खरीदी-बिक्री से पहले उसकी रजिस्ट्री का विवरण देख सकेंगे। रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियो ने एप में समस्या होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया, कि सर्वर डाउन होने की वजह से कभी-कभी फोटो अपलोड नहीं होते हैं। एप को रिइंस्टॉल करने के बाद यह समस्या भी खत्म हो जाती है। रजिस्ट्री होने के तुरंत बाद तहसील में इसकी सूचना भी पहुंच ही है। अभी कई तकनीकी कारणों से रजिस्ट्री के तुरंत बाद नामांतरण नहीं हो पा रहा है।
इस तरह की परेशानी आ रही ऐप में
- प्रतिबंधित खसरा नंबर को एनजीडीआरएस सिस्टम से हटाया नहीं जाता है। रोक के बावजूद बैन खसरा नंबर की भी रजिस्ट्री हो रही है।
- एनजीडीआरएस सिस्टम में पक्षकार द्वारा टोकन/ स्लॉट लेने के पहले उसे अपंजीकृत/ निष्पादित दस्तावेज को प्रस्तुत करना पड़ रहा है।
- उप-पंजीयकों द्वारा जान-बूझकर दस्तावेज को इतर उद्देश्यों की पूर्ति के लिए स्थल निरीक्षण के लिए रखा जा रहा है। ये गलत है।
- उप-पंजीयकों द्वारा जांच के दौरान दस्तावेज की कमी पाए जाने की स्थिति में पक्षकार की अनुपस्थिति में लिखकर लौटाया जा रहा है।
- तहसील शुल्क 1100 रुपए से बढ़ाकर 25 हजार तक कर दिया गया है। ये अप्रत्याशित वृद्धि अव्यवहारिक है। इसे बदलना चाहिए।
- किसी उप पंजीयक के यहां उस दिन का स्लॉट फूल होने पर दूसरे उप-पंजीयक के यहां स्लॉट खाली होने के बावजूद नहीं ले पा रहे हैं।