दिल्ली। भारत के स्वनिर्मित (सेल्फ-मेड) शीर्ष 200 उद्यमियों का कुल कारोबार वर्ष 2025 में बढ़कर 42 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के 36 लाख करोड़ रुपये की तुलना में करीब 15 प्रतिशत अधिक है। आईडीएफसी फर्स्ट प्राइवेट और हुरुन इंडिया द्वारा जारी ताजा सूची के अनुसार, यह वृद्धि भारतीय उद्यमिता की मजबूत होती नींव और तेजी से विस्तार करते कारोबारी माहौल को दर्शाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2025 की सूची में 53 नई कंपनियों की एंट्री हुई है, जबकि 102 नए फाउंडर पहली बार टॉप 200 उद्यमियों में शामिल हुए हैं। यह संकेत देता है कि भारत में स्टार्टअप और स्केल-अप संस्कृति लगातार मजबूत हो रही है। सूची में शामिल कंपनियों में से पांच ऐसी हैं, जिनका कारोबार 1 लाख करोड़ रुपये या उससे अधिक का है, जो भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।
सेक्टरवार देखें तो वित्तीय सेवाएं सबसे आगे रही हैं। टॉप 200 की सूची में 47 कंपनियां वित्तीय सेवाओं से जुड़ी हैं, जिनमें बैंकिंग, फिनटेक, इंश्योरेंस और एनबीएफसी कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग, कंज्यूमर गुड्स, हेल्थकेयर और एनर्जी जैसे सेक्टरों में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
हुरुन इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आज उद्यमिता के लिए एक मजबूत और अनुकूल इकोसिस्टम वाला देश बन चुका है। स्टार्टअप्स को मिलने वाला निवेश, सरकारी नीतियों का समर्थन, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और विशाल घरेलू बाजार भारतीय उद्यमियों को तेजी से आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं।
रिपोर्ट में इन बिजनेस लीडर्स की असाधारण उद्यमी यात्राओं को सम्मानित किया गया है, जिन्होंने नवाचार, जोखिम उठाने की क्षमता और दीर्घकालिक सोच के जरिए न केवल अपने कारोबार को ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि देश के आर्थिक परिदृश्य को भी नया आकार दिया है। यह आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि भारत के उद्यमी आने वाले वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में और बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।

