केंद्र ने फायर सेफ्टी जांच करवाने के लिए मुख्य सचिव को लिखा पत्र, हर 6 माह में रिव्यू करने के निर्देश

उत्तर प्रदेश के झांसी में मेडिकल कॉलेज से अटैच हॉस्पिटल में हुई आगजनी की घटना के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फिर से सभी राज्यों में अलर्ट भेजा है। मंत्रालय के सचिव ने राजस्थान में मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रदेश के हर हॉस्पिटल में फायर सेफ्टी उपकरणों की जांच करने और कलेक्टर्स के जरिए मॉकड्रिल करवाकर रेगुलर एक्सरसाइज करने के आदेश जारी किए है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।

सचिव की ओर से लिए गए पत्र में उन पत्रों का भी हवाला दिया, जो इसी साल मार्च, मई, जून और जुलाई में लिखे गए थे। इन पत्रों में गाइडलाइन बनाई थी। उसके अनुसार हर हॉस्पिटल में फायर सेफ्टी की जांच करवाने के निर्देश थे। राज्य की तरफ से इस पर कोई एक्शन या रिपोर्ट अब तक नहीं लिया गया। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले झांसी में जो घटना हुई थी। वह नवजात शिशु के वार्ड (एनआईसूयी) में लगी थी। इस घटना में करीब 12 नवजतों की जान चली गई थी।

शॉर्ट सर्किट आग का सबसे बड़ा कारण

मंत्रालय ने अपने पत्र में हेल्थ इंस्टीट्यूट में लगने वाली आग के पीछे सबसे बड़ा रीजन शॉर्ट सर्किट माना है। इसे देखते हुए मंत्रालय ने हर हॉस्पिटल में 6-6 माह में इलेक्ट्रिक लोड की ऑडिट करवाने के निर्देश दिए है। अक्सर हॉस्पिटलों में लगे इलेक्ट्रिक उपकरणों (वायरिंग, शॉकिट इत्यादि) कम कैपेसिटी के होते है, जबकि उनमें इलेक्ट्रिक उपकरण ज्यादा कैपेसिटी के कनेक्ट होते है।

पर्याप्त सेफ्टी उपकरण नहीं मिलने पर लाइसेंस कर सकते है निरस्त

मंत्रालय ने अपने इस पत्र में केवल सरकारी ही नहीं बल्कि प्राइवेट सेक्टर के इंस्टीट्यूट (हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, मेडिकल कॉलेज इत्यादि) जहां मरीजों की जान पर खतरा हो सकता है। उनकी भी रेगुलर मॉनिटरिंग करने के आदेश दिए है। इसके साथ ही इन इंस्टीट्यूट कलेक्टर के माध्यम से संबंधित मेडिकल ऑफिसर और फायर सेफ्टी ऑफिसर के जरिए ड्रिल कंडेक्ट करने के निर्देश दिए है। अगर कहीं कोई ऐसी स्थिति दिखती है। जहां फायर सेफ्टी के पर्याप्त उपकरण और मरीजों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। उस इंस्टीट्यूट का लाइसेंस भी निरस्त करने का एक्ट में प्रावधान है।

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