पोकरण स्थित आर्मी के अति संवेदनशील और प्रतिबंधित एरिया में चोर घुसे और युद्धाभ्यास के टैंक का 15 टन बुलेटप्रूफ लोहा काटकर ले गए। चोरों ने रेंज के अंदर ही टैंक को कटर से काटा, क्रेन से दो ट्रैक्टर-ट्रॉली में लोड किया और बाहर भी आ गए। बाहर निकलते ही पुलिस ने तीन लोगों को दबोच लिया। इसके बाद आर्मी ने मामला दर्ज कराया।
पुलिस की ओर से 4 महीने तक चली जांच के बाद अब चार्जशीट तैयार हो गई है, जिसे अगले सप्ताह कोर्ट खुलते ही पेश करने की तैयारी है। चार्जशीट में पुलिस ने सात लोगों को मुल्जिम बनाया है। पुलिस के मुताबिक- टैंक का लोहा बुलेटप्रूफ होता है, ऐसे में इसको स्क्रैप नहीं मान सकते। भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से नजदीक होने के चलते गंभीरता और बढ़ जाती है। पोकरण स्थित आर्मी रेंज लाठी में ऐसे कई डेमो टैंक पड़े हैं।
युद्धाभ्यास के समय यह डेरलिक/डेमो टैंक पर टार्गेट के रूप में काम लिया जाता है। उक्त पार्ट्स का टार्गेट बनाकर उसके ऊपर टैंक से व हवाई फायर होता है। इस संबंध में एफआईआर आर्मी स्टाफ काबल सिंह ने (रेंज जेसीओसी सेक्टर पीएफएफआर रेंज लाठी) रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस की ओर से जब्त सामान को खुद की यूनिट का बताया। पुलिस ने मसले की गंभीरता देख चोरी में किसी तरह की लापरवाही की जांच के लिए आर्मी के सीनियर ऑफिसर्स को कहा है। बताया जा रहा है कि आर्मी ने अपनी जांच शुरू कर दी है।
198 पेज की चार्जशीट; टैंक काटने वाले 7 मुल्जिम, आर्मी ने भी शुरू की जांच
पुलिस ने 198 पेज की चार्जशीट तैयार की है। इसके मुताबिक जब आर्मी स्टाफ चेंज हुआ तब ये लोग भीतर घुसे, कटर की सहायता से पार्ट्स काटे और क्रेन से लोड किया। पुलिस ने मौके से तीन लोग पकड़ थे। कड़ी जुड़ते जुड़ते 7 लोगों निबान खान (31), साबिर (24), रहमतुल्ला (26), गुलाब नबी (34), अली खां (33), रईस (28), रईस खान (34) को मुल्जिम बनाया। अली खां पर पहले से 4-5 केस हैं। जांच अधिकारी एएसआई कालू सिंह और लाठी थाना इंजार्ज सुखराम के मुताबिक- हमने रेंज के बाहर निकलते चोरों को पकड़ा। हमें खरीदने की कोशिश भी हुई। हम चार्जशीट तैयार कर चुके हैं।
सैन्य उपकरणों की चोरी दुनियाभर में बड़ा अपराध, कठोर कार्रवाई होती है
टैंक जैसे आर्म्ड व्हीकल या उसके हिस्सों की चोरी कई देशों में गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। पिछले साल इजराइल के मिलिट्री बेस से एक डीकमिशंड टैंक जब चोरी हुआ तो उसे रक्षा मंत्रालय ने गंभीर अपराध माना था। इस मामले की पूरी पड़ताल करवाई गई।
दरअसल, जितने भी हथियारों या टैंक का इस्तेमाल सेना करती है, उसे बेहद संवेदनशील श्रेणी में रखा जाता है। हथियारों में इस्तेमाल तकनीक के चोरी होने का खतरा रहता है। ऐसे में इनके चोरी से तकनीक दुश्मन देशों के हाथ में जाने का खतरा रहता है। ऐसे मामलों में सरकारें कठोर कार्रवाई करती हैं।