रायपुर। राज्य सरकार अब शराब नीति में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। कांग्रेस शासनकाल में उजागर हुए लगभग ₹32,000 करोड़ के कथित शराब घोटाले के बाद सरकार अब नई नीति के जरिये पारदर्शिता और नियंत्रण दोनों सुनिश्चित करना चाहती है। आबकारी विभाग ने इसके लिए प्रारंभिक मसौदा तैयार कर लिया है, जिसमें एक बार फिर ठेका पद्धति लागू करने का प्रस्ताव शामिल है। यह मसौदा जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
वर्तमान प्रणाली के तहत 2017 से शराब की बिक्री का संचालन सरकार स्वयं कर रही है। इसके लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) का गठन किया गया था। लेकिन अब सरकार को महसूस हो रहा है कि इस व्यवस्था से राजस्व अपेक्षा के अनुरूप नहीं बढ़ रहा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 11,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले विभाग करीब 3,000 करोड़ रुपये पीछे रहा। अगले वर्ष के लिए लक्ष्य 12,500 करोड़ रुपये रखा गया है।
नई नीति के तहत शराब दुकानों का संचालन निजी ठेकेदारों के हाथों में दिया जाएगा, जबकि सरकार केवल निगरानी और नियंत्रण की भूमिका में रहेगी। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर भी लगाम लगने की उम्मीद है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, इससे सरकारी खर्च में कमी और राजस्व में स्थिरता आएगी।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 से पहले राज्य में यही ठेका प्रणाली लागू थी। उस समय निजी ठेकेदार शराब बिक्री का संचालन करते थे। भूपेश बघेल सरकार के दौरान हुए शराब घोटाले में कई बड़े नाम शामिल हैं — पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल, होटल कारोबारी अनवर ढेबर, सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा समेत कई लोग जेल में बंद हैं। सरकार का मानना है कि पुरानी ठेका पद्धति लागू करने से भविष्य में इस तरह के घोटालों पर रोक लगाई जा सकेगी।

