जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ (केसीजी) जिले में माओवादी उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता मिली है। बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में रविवार सुबह सीपीआई (माओवादी) के 12 बड़े कैडरों ने पुलिस और प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें सबसे चर्चित नाम 45 लाख के इनामी केंद्रीय समिति सदस्य (CCM) और एमएमसी (मध्य प्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़) जोन प्रभारी रामधेर मज्जी का है। रामधेर हाल ही में एमएमसी जोन का प्रमुख जिम्मेदार बनाया गया था और संगठन के टॉप लीडर्स में गिना जाता था।
यह वही इलाका है जहां कुछ सप्ताह पहले माओवादी प्रवक्ता अनंत ने भी महाराष्ट्र में अपने 10 साथियों के साथ सरेंडर किया था। लगातार हो रही इस टूटन ने संगठन की शीर्ष संरचना को हिला दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दोहरे झटके के बाद एमएमसी जोन में नेतृत्व का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
समर्पण करने वालों में 87 लाख के इनामी शामिल
रामधेर के साथ 8–8 लाख इनामी चार डिविजनल कमेटी सदस्य—चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम ने हथियार डाले। इनके अलावा 5–5 लाख इनामी दो एरिया कमेटी सदस्य रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम तथा 2–2 लाख इनामी पांच महिला और पुरुष कैडर—लक्ष्मी, शीला, सागर, कविता और योगिता ने भी संगठन छोड़ दिया।
सभी ने मिलकर 10 हथियार सौंपे, जिनमें AK-47, INSAS, SLR, 303 राइफल और 30 कैलिबर कार्बाइन शामिल हैं।
बस्तर में माओवाद लगभग ध्वस्त
रामधेर बीजापुर के राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र का निवासी था और हिड़मा के अलावा बस्तर का दूसरा बड़ा आदिवासी माओवादी लीडर था जिसे केंद्रीय समिति में जगह मिली थी। हिड़मा पहले ही मारा जा चुका है और अब रामधेर के आत्मसमर्पण के बाद संगठन की बस्तर में स्थिति लगभग समाप्त मानी जा रही है। अब एमएमसी और बस्तर दोनों क्षेत्रों में माओवादी संगठन के पास केवल बारसे देवा ही अंतिम बड़ा चेहरा बचा है।

