गरियाबंद में फ्लोराइड से प्रभावित गांव, दांत और हड्डियों की समस्या बढ़ी

गरियाबंद। गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र के 40 गांवों में लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों ने इन गांवों के पानी की जांच की, जिसमें फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित मानक से अधिक पाई गई। इसके कारण यहां के लोगों के दांत पीले पड़ गए हैं और हड्डियां टेढ़ी हो रही हैं।

इन गांवों में 100 से ज्यादा लोग डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस (फ्लोराइड के कारण दांत और हड्डी से जुड़ी समस्याएं) से प्रभावित हैं। किडनी रोगियों के गांव के रूप में मशहूर सुपेबेड़ा में फ्लोराइड की मात्रा कम पाई गई है। हालांकि, देवभोग क्षेत्र में 94 गांवों के 175 जल नमूनों की जांच की गई और 17 गांवों के 51 जल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा सबसे अधिक पाई गई।

फ्लोराइड रिमूवल प्लांट्स

समस्या के समाधान के लिए 40 स्कूलों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग इनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। प्रशासन ने अब 5 नए फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाने की योजना बनाई है और इसके लिए कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने मंजूरी दी है। इसके अलावा, स्वास्थ्य और पीएचई विभाग को जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। साल 2024 में हाईकोर्ट ने फ्लोराइड मामले में संज्ञान लिया और इसके बाद प्रशासन ने 41 बंद पड़े रिमूवल प्लांट को फिर से चालू किया।

प्रशासन ने 6 करोड़ रुपये खर्च  किए

स्वास्थ्य विभाग के एक सर्वे में 2015 में 1500 से ज्यादा बच्चों में दांत पीले होने की समस्या पाई गई थी। इसके बाद प्रशासन ने 6 करोड़ रुपये खर्च करके फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए थे। हालांकि, जागरूकता की कमी के कारण इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए लगातार जांच और उपाय किए जा रहे हैं, ताकि ग्रामीणों को स्वच्छ और सुरक्षित पानी मिल सके।

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