‘हां मैं सट्टा खिलाता हूं…, तोरवा पुलिस को रोज 5000 रुपये भी तो देता हूं। सिपाही खुद रोज हिस्सा लेने आता है। रेलवे क्षेत्र में अकेले नहीं हूं। मुझे पकड़कर क्या कर लोगे। मैं पैर से दिव्यांग हूं। हिम्मत है तो उसे पकड़कर दिखाओ जो बुधवारी का किंग है। अरे पुलिसवालों, दो दिन में छूट जाऊंगा। फिर देखना मैं क्या कर सकता हूं।’
ये कोई फिल्म का डायलाग नहीं, बुधवार को बिलासपुर जिले के शंकर नगर में रंगे हाथों पकड़े गए एक सटोरिए की आईपीएस को चुनौती थी। शंकरनगर-बापू नगर क्षेत्र में सट्टा का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। चुचुहियापारा शराब दुकान हटने के बाद से सट्टा के लिए सुबह-शाम यहां मजमा लगता है। मोहल्लेवासियों ने कई बार तोरवा पुलिस से इसकी शिकायत की, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिला।
पुलिस ने सटोरिए को दौड़कर पकड़ा
उल्टा पुलिस सटोरिए पर मेहरबान नजर आई। बुधवार को इसका असर भी दिखा। सिविल लाइन सीएसपी उमेश गुप्ता (आईपीएस) ने अचानक छापामार कार्रवाई की। सटोरिया संतोष बजाज ने एक पैर से दिव्यांग होने के बाद भी भागने का प्रयास किया। पुलिस ने उसे दौड़ाकर पकड़ा। इसके बाद सटोरिया बिफर गया।
तोरवा पुलिस पर आक्रामक हो गया। कई गंभीर आरोप लगाए। इस दौरान वह आत्महत्या की धमकी देने लगा और रेलवे ट्रैक की ओर भागने की कोशिश करने लगा। साथ ही गमछे को अपने गले में कसने की कोशिश करने लगा। पुलिसकर्मियों ने उसे रोका। लंबे इंतजार के बाद पेट्रोलिंग गाड़ी पहुंची और सटोरिए को पकड़कर थाने ले जाया गया। वहां उसके खिलाफ सट्टेबाजी के मामले में कार्रवाई की गई।
टीआई ने नहीं उठाया काल, पेट्रोलिंग भी नहीं पहुंची
कोतवाली सीएसपी पूजा कुमार (आईपीएस) भी पहुंचीं। तोरवा टीआई राहुल तिवारी को फोन घुमाया गया। लेकिन, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। कुछ देर बाद उनसे अधिकारियों का संपर्क हो पाया। इसके बावजूद टीआई तो दूर, थाने के सिपाही और पेट्रोलिंग गाड़ी भी आने से कतरा रहे थे। लोगों की भीड़ देखकर आईपीएस गुप्ता बेहद नाराज हुए। बाद में पेट्रोलिंग की गाड़ी पहुंची।