धर्मशाला। चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलंग त्सांगपो) पर दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत परियोजना बनाने (Dam Controversy) को मंजूरी दी है। इस परियोजना के कारण न केवल भारत, बल्कि दक्षिण एशिया के अन्य देशों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है, ऐसा तिब्बत के निर्वासित विशेषज्ञों का मानना है।
तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट के उप निदेशक और शोधकर्ता, तेम्पा ग्यात्सेन ने मीडिया को बताया, कि यह भारत के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ग्यात्सेन ने आगे कहा, “भारत के उत्तर-पूर्व में यह डेम गंभीर जलवायु प्रभाव डाल सकता है। उदाहरण के लिए, गर्मियों में जब पानी का स्तर बढ़ता है, तो इस डेम में जमा अतिरिक्त पानी को छोड़ा जाएगा, जिससे बाढ़ की स्थिति बन सकती है। वहीं, सर्दियों में पानी की कमी होने पर यह डेम पानी जमा करेगा, जिससे जल संकट उत्पन्न हो सकता है। यह दोनों ही स्थितियां उत्तर-पूर्व भारत के लिए बहुत हानिकारक हैं।
डेम भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है चीन
ग्यात्सेन ने यह भी चेतावनी (Dam Controversy) दी कि जब भारत और चीन के रिश्ते अच्छे नहीं होंगे, तो चीन इस डेम का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है। वह इसे जलवायु संकट उत्पन्न करने के लिए एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। तिब्बत सरकार के निर्वासित उपाध्यक्ष, डोलमा त्सेरिंग ने कहा, “हमें उम्मीद है कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि सभी दक्षिण एशियाई देशों को इस डेम के खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि इसका असर केवल भारत पर नहीं, बल्कि पूरी दक्षिण एशियाई क्षेत्र पर पड़ेगा। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा डेम बनाने की योजना बना रहा है, जो भारत की सीमा के पास तिब्बत में स्थित है। इससे भारत और अन्य निचले क्षेत्रों में स्थित देशों में चिंता का माहौल है।