राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू करने के तहत छत्तीसगढ़ में स्कूली और उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए जा रहे हैं। कक्षा पहली, दूसरी, तीसरी और 6वीं में नए विषय जुड़ रहे हैं। तीसरी में अब बच्चे 4 की जगह 6 विषय पढ़ेंगे। वहीं, 6वीं के छात्रों को 6 की जगह 9 विषय पढ़ाए जाएंगे। तीसरी में आर्ट और फिजिकल एजुकेशन (योग) जोड़ा जा रहा है। जबकि 6वीं में आर्ट, फिजिकल एजुकेशन और वोकेशनल कोर्स शामिल किया जा रहा है।
अभी 6वीं में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान के विषय हैं। अधिकारियों के अनुसार एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्यक्रमों में बदलाव किए हैं। उसी के तहत यहां भी नए विषयों को शामिल किया गया है। पहले चरण में कक्षा 1,2,3 और 6वीं में कुछ बदलाव हुए हैं। जल्द ही इन विषयों की किताबों की छपाई के लिए पाठ्यपुस्तक निगम को पांडुलिपियां भेजी जाएंगी। इसके बाद आने वाले सत्रों में बाकी कक्षाओं के सिलेबस में चरणबद्ध बदलाव किए जाएंगे। अभी जिस तरह छात्रों को मुफ्त में पुस्तकें दी जा रही हैं, उसी तरह नए विषयों की किताबें भी छात्रों को फ्री में मिलेंगी।
नए विषयों को जोड़ने की कवायद इस पूरे सत्र के दौरान की गई। इसके लिए 5 दिन सभी विषयों के लिए अलग-अलग कार्यशालाएं हुईं। इनमें 200 से ज्यादा शिक्षाविद, विषय विशेषज्ञ, भाषाविद, सांस्कृतिक कर्मी, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकारों, स्कूलों के प्राचार्य-शिक्षक, प्रोफेसर और छात्रों के पालकों को भी आमंत्रित किया गया था।
स्थानीय बोलीं भी होंगी पाठ्यक्रम में शामिल
स्कूली पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी और स्थानीय बोलियों पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके तहत आदिवासी क्षेत्र के बच्चे स्थानीय बोली जैसे- हल्बी, गोंडी में पढ़ाई करेंगे। पहली से 5वीं की किताबों में इन्हें शामिल किया जाएगा। जानकारों ने बताया कि इसके लिए विषय विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है। अगले कुछ दिनों में पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी। पाठ्यक्रम तैयार होने के बाद उसे पढ़ाई का हिस्सा बनाया जाएगा।
विरासत होगी पढ़ाई का हिस्सा
एससीईआरटी के अधिकारियों ने बताया, कि कक्षा 1,2,3 और 6 की एनसीईआरटी की किताबों को छत्तीसगढ़ की बौद्धिक, सांस्कृतिक और विरासतीय संदर्भों और स्थानीय अस्मिताओं को ध्यान में रखते हुए अपडेट किया जा रहा है। इन किताबों की पांडुलिपि आने वाले दिनों में तैयार कर पाठ्यपुस्तक निगम को हैंडओवर की जाएंगी।