छत्तीसगढ़ में अब AI से साइबर क्राइम मामले सुलझाएगी पुलिस

नए साइबर भवन में साइबर क्राइम के इंवेस्टिगेशन के साथ अब रिसर्च भी होगी। आईआईटी भिलाई के छात्र पुलिस के साथ मिलकर साइबर क्राइम में रिसर्च करेंगे। ठगों की तकनीक को समझेंगे और उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से पकड़ेंगे, क्योंकि एआई में काम करने का बड़ा स्कोप है। डार्क नेट को लेकर भी रिसर्च की जाएगी।

इसलिए सरकार ने पहली बार आईआईटी भिलाई और आईआईएम रायपुर से अनुबंध किया है। इसकी मदद से एआई सिस्टम से ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा, जो इन ठगों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। इतना ही नहीं खातों से पैसे पार होने पर पुलिस उस रकम को ठगों की जेब में पहुंचने से पहले होल्ड भी कराएगी।क्योंकि आईआईटी के छात्र इस प्रकार की तकनीक इजाद करते हैं। छात्र इसमें लगातार रिसर्च भी करते हैं। अब दोनों संस्थाएं मिलकर साइबर क्राइम पर काम करेंगी। आईआईटी पुलिस के जवानों को ट्रेनिंग भी देगी।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नए भवन में सिर्फ साइबर का सेटअप रहेगा। यहां आधुनिक लैब बनाया जाएगा। जहां अलग-अलग मामले में जब्त मोबाइल, लैपटॉप समेत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को सुरक्षित रखा जाएगा। टेंपर सीडी, वीडियो की जांच की जाएगी।

पुलिस जवानों को एक्सीडेंट में मिलेगा बीमा

छत्तीसगढ़ पुलिस ने 8 बैंकों से अनुबंध किया है। इन बैंकों में जिस भी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी का खाता होगा। उसे बिना खर्च वे उसे सैलरी अकाउंट में तब्दील करवा सकेंगे। इसमें उन्हें बीमा पॉलिसी की सुविधा मिलेगी। बीमा के लिए अलग से कोई चार्ज नहीं देना पड़ेगा। एक्सीडेंट या मृत्यु पर बैंक बीमा पॉलिसी का फायदा देगी। इसमें और भी सुविधाएं रहेंगी।

प्रदेश में पहली बार पुलिस का नया प्रयोग

रोकेंगे मानव तस्करी पुलिस ने आईआईएम रायपुर से अनुबंध किया है। आईआईएम मैनेजमेंट की पढ़ाई कराता है, लेकिन इनका मानव तस्करी पर खुद का मॉड्यूल है। वहां लगातार रिसर्च चल रहा है। उनके माड्यूल से राज्य में मानव तस्करी रोकने पर काम किया जाएगा।

ऐसे समझें डार्क नेट पुलिस के लिए डार्क नेट अबूझ पहेली है। पुलिस इसे सुलझाने का प्रयास करेगी, क्योंकि इंटरनेट का यह ऐसा हिस्सा है, जिसे पुलिस ट्रेस नहीं कर पाती इससे ठगों तक पहुंच नहीं पाती है। अब एक्सपर्ट की मदद से वहां तक पुलिस पहुंचेगी और ठगों को पकड़ेगी।

रोज 67 ठगी… अब कैडर में 16 साल बाद होगी भर्ती

छत्तीसगढ़ समेत देशभर में ऑनलाइन ठगी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। साइबर क्रिमिनल के नए तरीकों से पढ़े-लिखे ही नहीं बड़े-बड़े अफसर भी आसानी से ठगी के शिकार हो रहे हैं। देश में एक साल में 12 लाख लोगों के खातों से 1616 करोड़ रुपए से ज्यादा पार हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ में भी यह आंकड़ा कम नहीं।

2023 में पुलिस के पास ऐसे 22297 मामले आए। इसमें 100 करोड़ से ज्यादा की रकम लोगों ने गंवा दी। यहां रोज 67 लोगों से ठगी हो रही है। ये वो आंकड़े हैं जो पुलिस तक पहुंचे। छोटी-छोटी ठगी की लोग शिकायत नहीं करते। राज्य साइबर थाने के साथ पांचों पुलिस रेंज में साइबर थाने खोले हैं। कुछ दिनों में कवर्धा और एक अन्य जिले में दो नए साइबर थाने खुल जाएंगे।छत्तीसगढ़ में 2008 में साइबर कैडर बनाकर उसमें तीन सब इंस्पेक्टर की भर्ती की गई थी। 16 साल बाद फिर साइबर कैडर में नियुक्ति होने वाली है।

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