नक्सली वार्ता के लिए तैयार, सरकार से ऑपरेशन रोकने लिखा पत्र

Naxalites are ready for talks, have written a letter to the government to stop the operation

बीजापुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से दो दिन पहले नक्सलियों ने शांति वार्ता का प्रस्ताव सामने रखा है। सुरक्षा बलों की आक्रामकता और सरकार की कड़ी नीति के चलते माओवादी संगठन ने ऑपरेशन रोके जाने की मांग की है।

इस संबंध में एक पर्चा जारी कर माओवादियों ने शांति वार्ता की अपील की है और कई शर्तें भी रखी हैं।  सीपीआई (माओवादी) के केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने एक प्रेस नोट के जरिए सरकार से शांति वार्ता की मांग की है। उन्होंने भारत सरकार से ‘ऑपरेशन कगार’ को तुरंत रोकने का आग्रह किया है, क्योंकि उनके मुताबिक इस ऑपरेशन के दौरान आदिवासी समुदायों के खिलाफ हिंसा की गई है। नक्सलियों ने सरकार से सुरक्षा बलों की वापसी और आतंकवाद विरोधी अभियानों को रोकने की मांग की है। माओवादियों ने जनता से शांति वार्ता के लिए सरकार पर दबाव बनाने की अपील की है।

उनका कहना है कि बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को शांति वार्ता के लिए सरकार को प्रेरित करना चाहिए। माओवादी संगठन ने केंद्र और राज्य सरकारों पर आरोप लगाया है कि वे देश के आदिवासी और शोषित वर्गों के खिलाफ उग्रवादी अभियान चला रहे हैं। उनका कहना है कि यह युद्ध आदिवासी और गरीब समुदायों के खून से चल रहा है, और इसका उद्देश्य देश के प्राकृतिक संसाधनों को बड़े कॉरपोरेट्स के हाथों में देना है।

नक्सलियों ने शांति वार्ता के लिए शर्तें रखी हैं:

  1. युद्ध विराम की अपील: माओवादी संगठन ने भारत सरकार से बिना शर्त युद्ध विराम की मांग की है, ताकि शांति वार्ता को सुगम बनाया जा सके।
  2. ऑपरेशन ‘कगार’ पर सवाल: सरकार पर आरोप लगाया गया है कि ऑपरेशन ‘कगार’ के तहत माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी हिंसा और हत्याएं हुई हैं।
  3. हजारों हताहत और मानवाधिकार उल्लंघन: माओवादियों का कहना है कि 400 से ज्यादा माओवादी नेता, कार्यकर्ता और आदिवासी नागरिक मारे गए हैं। कई महिलाओं के खिलाफ सामूहिक यौन हिंसा और फांसी का आरोप भी लगाया गया है।
  4. माओवादियों की शर्तें: माओवादी संगठन ने शांति वार्ता के लिए सरकार से सुरक्षा बलों की वापसी, नए सैन्य शिविरों की स्थापना को रोकने और आतंकवाद विरोधी अभियानों को निलंबित करने की शर्त रखी है।
  5. आदिवासी समुदायों पर दबाव: माओवादियों ने आरोप लगाया कि सरकार आदिवासी समुदायों के खिलाफ ‘नरसंहार युद्ध’ चला रही है।
  6. शांति वार्ता के लिए माओवादी तत्पर: अगर सरकार माओवादियों की शर्तों पर सहमत होती है, तो माओवादी बातचीत के लिए तैयार हैं। वे कहते हैं कि जैसे ही सैन्य अभियान बंद होंगे, वे युद्ध विराम की घोषणा करेंगे।
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