रायपुर। प्रदेशभर के सरकारी विभागों को अब बहुत जल्द स्मार्ट करंट लगने वाला है। सरकारी विभाग राज्य बनने के बाद से ही बिजली बिल जमा करने को लेकर गंभीर नहीं रहे हैं। सरकारी विभागों पर 18 सौ करोड़ से ज्यादा का बकाया है, लेकिन अब स्मार्ट मीटर लगने के बाद सरकारी विभागों को रीचार्ज कराने पर ही बिजली मिलेगी। सरकारी विभागों पर बकाया को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान ऊर्जा विभाग की बैठक में नाराजगी जताई थी।
केंद्रीय मंत्री जता चुके नाराजगी
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर 10 जुलाई को रायपुर आए थे। उन्होंने जब यहां पर ऊर्जा विभाग की बैठक ली तो उनके सामने भी सरकारी विभागों के बकाया की बात सामने आई तो उन्होंने इस पर नाराजगी जताते हुए बकाया पर ध्यान देने की बात की है। इसी के साथ वे बोलकर गए हैं कि आप योजनाएं बताएं, जितने पैसों की जरूरत होगी, केंद्र से मदद मिलेगी।
छह माह से नहीं मिला एक भी पैसा
पॉवर कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक, सरकारी विभाग वैसे तो वर्तमान बिलों का भुगतान करने लगे हैं, क्योंकि केंद्र सरकार ने अब नियम बना दिया है कि सरकारी विभागों पर बकाया रहने पर केंद्र सरकार आरडीएसएस योजना में मिलने वाली मदद पर रोक लगा देगी। बीते छह माह से ही सरकारी विभागों से वर्तमान बिलों का भी भुगतान नहीं किया है, जिसके कारण बकाया बढ़ गया है, अन्यथा वर्तमान बिलों के साथ पुराना बकाया भी किस्तों में दिया जा रहा है।
सरकारी विभागों पर बड़ा बकाया
प्रदेश में आम उपभोक्ता पर थोड़ा-सा बकाया होने पर उनकी बिजली कट करने पॉवर कंपनी के कर्मचारी पहुंच जाते हैं। वहीं सरकारी विभागों की बिजली कभी कट नहीं की जाती है। पॉवर कंपनी को प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर बजट में विभागीय बजट से ही बिलों का भुगतान लेना पड़ता है। इस समय सरकारी विभागों में सबसे बड़ा बकाया नगरीय निकायों पर है। इनका बकाया 978 करोड़ हो गया है। वैसे तो यह बकाया 866 करोड़ है, लेकिन लंबे समय से भुगतान न होने के कारण 112 करोड़ सरचार्ज हो गया है। इसी तरह से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पर 430 करोड़ का बकाया सरचार्ज सहित है। इस विभाग को 35 करोड़ का सरचार्ज अब तक लग चुका है। अन्य विभागों पर भी 10 से 75 करोड़ तक का बकाया है।
किस विभाग पर कितना बकाया
नगरीय निकाय – 978 करोड़
पंचायत एवं ग्रामीण – 430 करोड़
विकास विभाग
स्कूल शिक्षा विभाग – 75 करोड़
लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी – 67 करोड़
चिकित्सा विभाग – 61 करोड़
गृह विभाग – 32 करोड़
जल संसाधन विभाग – 30 करोड़
आवास एवं पर्यावरण – 11 करोड़
महिला एवं बाल विकास -21 करोड़
आदिम जाति विभाग -14 करोड़
लोक निर्माण विभाग -10 करोड़
अन्य सरकारी विभाग – 60 करोड़ से ज्यादा