छत्तीसगढ़ के बस्तर का दर्द शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक पहुंचा। बस्तर के अलग-अलग गांवों से 50 से अधिक ग्रामीण दिल्ली गए हुए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के अशोक मंडप में सभी से मुलाकात की। राष्ट्रपति भवन पहुंचकर ग्रामीणों ने बताया कि कैसे नक्सली हमलों की वजह से वो अपाहिज हुए।
ये ग्रामीण बस्तर शांति समिति के बैनर तले दिल्ली पहुंचे हैं। सभी ने राष्ट्रपति के सामने अपनी पीड़ा और व्यथा सुनाई। पीड़ितों ने कहा कि बस्तर सदियों से शांत और सुंदर रहा है, लेकिन बीते 4 दशकों में माओवादियों के कारण यही बस्तर आतंकित है। जिस बस्तर की पहचान आदिवासी संस्कृति और परंपरा रही है, उसे अब लाल आतंक के गढ़ से जाना जाता है। यह बस्तरवासियों का दुर्भाग्य है। बस्तरवासियों का दर्द सुन राष्ट्रपति ने नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील की। साथ ही जब उन्होंने बच्चों को देखा तो सभी के लिए चॉकलेट मंगवाकर अपने हाथों से दिया।