जवानों को धमाकों और लैंडस्लाइड से बचाएगा ये कवच, रिसर्च के लिए मिली आर्थिक मदद

भिलाई।  नक्सल प्रभावित क्षेत्र या बार्डर पर गश्त और किसी ऑपरेशन के दौरान सबसे ज्यादा सेना की गाडिय़ों को निशाना बनाया जाता है, जिससे भारी जानमाल की हानि होती है। हाल ही में जम्मू और लद्दाख में हुई लैंड स्लाइड के दौरान सेना की गाडिय़ों इसकी जद में आ गई, जिससे बहुत से जवानों की जान चली गई।

इस तरह के हादसों और सैन्य कार्रवाई के दौरान जवानों को सुरक्षित रखने रूंगटा आर-1 आरसीईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों और प्रोफेसर्स ने ऐसा सुरक्षा कवच तैयार किया है, जो बुलेट रजिस्टेंस के साथ-साथ एक्सपोज ऑफ हैवी लोड, लैंड स्लाइड, ऊपरी स्तर से होनी वाली बमबारी से जवानों को सुरक्षित रखेगा।

इस कवच को भारतीय पेंटेंट कार्यालय कोलकाता ने मान्यता दे दी है। इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की इंस्टीट्यूट इनोवेशन काउंसिल की युक्ति स्कीम के तहत अनुदान जारी किया गया है। प्रोजेक्ट को अलग-अलग विभागों से 5 करोड़ रुपए तक की फंडिंग के लिए भी सलेक्ट किया गया है।

सबसे कम खर्च में तैयार

अभी तक डिफेंस सर्विस में बम धमाकों को झेलने और बुलेट प्रूफ गाडिय़ां करीब 25 करोड़ रुपए तक की लागत से तैयार हो रही है, लेकिन भिलाई के होनहारों की नई तकनीक का उपयोग करते हुए बेहतर सुरक्षा के साथ यह गाडिय़ां 24 से 32 लाख के बजट में तैयार हो जाएंगी।

रूंगटा ग्रुप ने डिफेंस सर्विस को यह आइडिया और पेटेंट की जानकारी भेज दिया है। सुरक्षा कवच तैयार करने वाले स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स ने बताया कि ये सुरक्षा कवच एक्प्रोजन ऑफ हैवी लोड जैसे बड़े भारी पत्थर, लैंड स्लाइड से आघात, हिमालय क्षेत्र, नक्सल प्रभावित क्षेत्र, इंडो-चाइना बॉर्डर, वैष्णोदेवी यात्रा आदि में यात्रियों और सैनिकों को सुरक्षा देगा।

क्या है नई तकनीक

अभी डिफेंस की गाडिय़ोंं में यूएचएमडब्ल्यूपीई स्पॉल लाइनिंग हाई प्रैक्टर टफनेट एपॉक्सी मटेरियल कार्बन फाइबर कैवलार जैसे उच्च मटेरियल उपयोग किया जाता है, जो काफी महंगी तकनीक है। जबकि स्टूडेंटस द्वारा तैयार किया गया कवच हाई नाइट्रोजन स्टील और एग्रो बेस्ड बैलेस्टिक जेल की मदद से तैयार किया गया है। इसमें स्टूडेंट्स ने सस्पेंशन तकनीक का उपयोग किया है, जिससे किसी भी हमले या दुर्घटना की स्थिति में आने वाला प्रेशर सीधे बस में सवार सैनिकों तक नहीं पहुंचेगा बल्कि इसे रिटर्न फोर्स के जरिए रोक दिया जाएगा।

अब यह परखेंगे नया कवच

इस तकनीक को एमएसएमई, डीआरडीओ, नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, आईडीईएक्स, चैलेंज ऑफ इंडियन आर्मी डिजाइन ब्यूरो को भी परखने के लिए भेजा गया है। इसे तैयार करने में आरसीईटी के छात्र ज्ञानेश कुमार राव, आशीष कुमार पंडित, नीरज सिंह ने भूमिका निभाई है। प्राचार्य डॉ. राकेश हिमते, रूंगटा इन्क्यूबेशन के सीईओ जी. वेणुगोपाल, रूबी सेल इंचार्ज प्रोफेसर चंद्रशेखर नागेंद्र, प्रोफेसर वी. हेमंत कुमार और डीन आरएंडी डॉ. रामकृष्ण राठौर का योगदान रहा। रूंगटा आर-1 ग्रुप डायरेक्टर सोनल रूंगटा ने कहा – इस तरह के रिसर्च प्रोजेक्ट देश की सेना को और भी मजबूत करेंगे। इसमें आगे की रिसर्च जारी है, जिसके लिए विभिन्न एजेंसी से अनुदान मिल रहा है। हाल ही में आईआईसी की युक्ति योजना से ग्रांट जारी हुई है।

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