उपचुनाव ने बढ़ाई कारोबारियों की परेशानी, बिल होने के बाद भी रोक रही पुलिस

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव होना है। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के लिए लागू आचार संहिता ने व्यापारियों को परेशान कर दिया है। दक्षिण के करीब 22 वार्डों में आयोग की सख्ती ने व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है। इस विधानसभा क्षेत्र में अंतरराज्यीय बस स्टैंड, सराफा बाजार और कुछ प्रमुख कारोबारी क्षेत्र आते हैं।

बाहर से आने वाले व्यापारी बस स्टैंड रांवाभाठा में ही उतरते हैं। ऐसे में 50 हजार से ज्यादा के नियम ने कारोबार को प्रभावित कर दिया है। व्यापारियों का आरोप है कि पुलिस और जीएसटी के अफसर उन्हें बेवजह परेशान कर रहे हैं। जिस सामान में बिल होता है उसे भी रोक दिया जाता है। इतना ही नहीं सामान पकड़ने के बाद एक से दो घंटे का समय तक दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं दिया जा रहा है।

अब इस पूरे मामले की शिकायत सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग से की जाएगी। राजधानी में आचार संहिता लगने से पहले करीब 9 करोड़ की चांदी और आचार संहिता के बाद पांच करोड़ से ज्यादा की ज्वेलरी पकड़ा जा चुकी है। सराफा कारोबारियों का कहना है कि अभी दिवाली का त्योहार होने की वजह से बल्क में सोना-चांदी मंगाया जाता है। बाहरी राज्यों से स्टॉक आने के साथ ही रायपुर का बाजार सबसे बड़ा होने की वजह से यहां से सभी जिलों में यहीं से सामान भेजा जाता है। ऐसे में बार-बार व्यापारियों की गाड़ियों और कर्मचारियों को रोकने की वजह से व्यापार प्रभावित हो रहा है। पुलिस वाले सामान को जब्त कर आयकर या जीएसटी विभाग को सौंप देते हैं। वहां से सामान वापस लेने में पांच से सात दिन का समय लग जाता है। ऐसे में बार-बार स्टॉक पकड़ाएगा तो व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा।

बिना बिल का होगा तो एयरपोर्ट से बाहर कैसे निकल पाएगा 

रायपुर सराफा एसोसिएशन का कहना है कि ज्यादातर सोना, चांदी और हीरा मुंबई, दिल्ली और सूरत से मंगाया जाता है। सुरक्षा के लिहाज से सराफा कारोबारी इसे फ्लाइट से ही मंगाते हैं। किसी भी तरह के दस्तावेज कम हो तो फ्लाइट से सोना-चांदी आ ही नहीं सकता है। क्योंकि कस्टम समेत कई जांच बेहद सख्त होती है। इसके बावजूद पुलिस वाले बाहर से आने वाले स्टॉक को रोक लेते हैं। इतना ही नहीं उसका प्रदर्शन भी कर देते हैं। इस तरह से सामान को सार्वजनिक करने से सराफा कारोबारियों का खतरा और बढ़ जाता है।

लूटपाट और उठाईगिरी करने वाले लगातार इस ताक में रहते हैं कि वे सराफा कारोबारियों का माल कैसे लूटे। पुलिस वाले उन्हें पूरी जानकारी दे रहे हैं। ऐसे में कारोबारी बिल पेश कर देता है इसकी जानकारी पुलिस या दूसरे विभाग वालों को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। इससे कम से कम खतरा तो कम होगा।

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