देवेंद्र ठाकुर केस: पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर का अग्रिम ज़मानत आवेदन खारिज

भूपेश सरकार में वन मंत्री रहे मोहम्मद अकबर की अग्रिम ज़मानत याचिका बालोद कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। सत्र न्यायाधीश एस एल नवरत्न ने आदेश में उल्लेख किया है कि,प्रथम दृष्टया आवेदक ( मोहम्मद अकबर ) की संलिप्तता दर्शित होती है।

आपको बता दे, कि ग्राम घोटिया निवासी देवेंद्र कुमार ठाकुर ने बीते 3 अगस्त को फाँसी लगाकर ख़ुदकुशी की थी। मृतक देवेंद्र की जेब से चिट्ठी मिली थी जिसमें ख़ुदकुशी के लिए हरेंद्र नेताम,मदार खान उर्फ सलीम खान, प्रदीप ठाकुर और पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर को जवाबदेह बताया था। पुलिस के अनुसार मृतक देवेंद्र के रिश्तेदार भिलाई निवासी बीएसपी कर्मी हरेंद्र ठाकुर ने मृतक का परिचय मदार खान उर्फ सलीम खान से कराया था। मदार खान उर्फ सलीम खान खुद को तत्कालीन वन मंत्री मोहम्मद अकबर का भांजा बताता था।

कथित रुप से मदार खान ने दावा किया था कि वन विभाग में वह वन रक्षक और चपरासी के पद पर नौकरी दिला देगा।मदार खान के इस कथित दावे पर भरोसा कर देवेंद्र से प्रति व्यक्ति 4 लाख 50 हजार रुपये के हिसाब से क़रीब चालीस पचास लोगों के पैसे ले लिए गए। आरोप है कि इनमें से बड़ी राशि सीधे मदार खान के एचडीएफसी खाते में ट्रांसफ़र कराए गए थे। लेकिन दो साल बाद भी नौकरी नहीं लगी और पैसे भी वापस नहीं किए गए।पुलिस के अनुसार मदार खान,हरेंद्र नेताम और प्रदीप ठाकुर मृतक देवेंद्र को पैसा लौटाने के नाम पर घुमाते रहे और प्रताड़ित करते रहे, इस प्रताड़ना की वजह से देवेंद्र ने आत्महत्या की। पुलिस मामले में क्राईम नंबर 53/2024 के तहत एफ़आइआर दर्ज की जिसमें बीएनएस की धारा 108 और 3(5) प्रभावी की गई।

अग्रिम ज़मानत आवेदन में आवेदक ने कहा थे ये

कोर्ट में पेश अग्रिम ज़मानत आवेदन में मोहम्मद अकबर की ओर से बताया गया कि, इस घटना से किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। मोहम्मद अकबर की ओर से कहा गया -“अभियोग केवल इस आधार पर लगाए गए हैं कि,मृतक ने अपने सुसाइड नोट में आवेदक के नाम का उल्लेख किया है।इस सुसाइड नोट के परिशीलन से यह स्पष्ट होता है कि न तो सुसाइड नोट में लिखने वाले के नाम हैं, न ही हस्ताक्षर हैं और न ही उक्त नोट में तारीख़ या समय अंकित है।” मोहम्मद अकबर की ओर से यह भी कहा गया -“न तो मृतक से कोई व्यक्तिगत संबंध रहा है और न ही वे मृतक से कभी मिलें हैं, और न ही वे मामले में अन्य तीन आरोपियों को जानते हैं, न ही उनसे किसी भी प्रकार का कोई संबंध है।

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