शराब घोटाला:डिस्टलरी में सीधे जाता था नकली होलोग्राम, 4 साल में ये खेल करके सिंडिकेट ने बनाया पैसा

छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के आबकारी घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को नकली होलोग्राम मामले में 55 पन्नों के आरोप पत्र के साथ 2000 पन्नों का चालान पेश किया। ईओडब्ल्यू का दावा है कि नोएडा की कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी नकली होलोग्राम बनाकर सीधे डिस्टलरी में सप्लाई करती थी। वहां से बोतल में नकली होलोग्राम लगकर गोदाम की जगह सीधे दुकान पहुंचाया जाता था।

दुकान से ही इसकी बिक्री होती थी। इसका पैसा सिंडीकेट के खजाने में जाता था। इसके पीछे बड़ा सिंडीकेट काम कर रहा था। सिंडीकेट के मुख्य सदस्य कारोबारी अनवर ढेबर ने फार्म हाउस में जमीन खोदकर नकली होलोग्राम जब्त किया था। अनवर ने ईडी की छापेमारी के दौरान नकली होलोग्राम को जलाकर जमीन में दफना दिया था। इस मामले में प्रिज्म कंपनी के मैनेजर दिलीप पांडे, कर्मचारी अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह और दीपक दुआरी को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी नकली होलोग्राम के कारोबार से जुड़े हुए हैं। सभी रायपुर जेल में बंद हैं।

इससे पहले ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में तत्कालीन सचिव अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन और अरविंद सिंह के खिलाफ चालान पेश किया है। ईओडब्ल्यू की सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा के खिलाफ जांच चल रही है। उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है। आरोप पत्र पर 4 नवंबर को सुनवाई होगी।

इस दिन सभी आरोपियों को कोर्ट पेश किया जाएगा। ईओडब्ल्यू के अनुसार 2019 से 2022 तक सरकारी दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर अवैध तरीके से शराब बेचा गया। इससे शासन को करोड़ों का नुकसान हुआ।सिंडीकेट में आबकारी उपायुक्त, जिला अधिकारी, हवलदार समेत एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी शामिल हैं। ये अवैध शराब की बिक्री करा रहे थे। ईओडब्ल्यू ने सभी से पूछताछ की है, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं की गई।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भ्रष्टाचार में फंसे अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों की अच्छी पोस्टिंग हो गई है। इसमें से कुछ लोगों ने सरकारी गवाह बनने की लिए अर्जी लगाई है।

डिस्टलरी की भूमिका की जांच

रायपुर, कुम्हारी, बिलासपुर की डिस्टलरी में प्रिज्म कंपनी के कर्मचारी नकली होलोग्राम पहुंचाते थे। फिर नकली होलोग्राम लगकर दुकानों में शराब पहुंचाई जाती थी। इसमें शराब कारोबारियों की बड़ी भूमिका है। ईओडब्ल्यू ने सभी डिस्टलरी संचालकों से लंबी पूछताछ की है। चर्चा है कि सभी डिस्टलरी संचालकों को आरोपी की जगह सरकारी गवाह बनाया जा रहा है।

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