केरल। केरल के मलप्पुरम में शनिवार (20 जुलाई) को निपाह वायरस का एक मामला सामने आया है। संक्रमण एक 14 साल के लड़के में पाया गया है। उसका सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में भेजा गया था। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि लड़का एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा रहा है और वह वर्तमान में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है। उसे जल्द ही कोझिकोड के सरकारी अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई
केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने निपाह को लेकर उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें उन्होंने वायरस के संभावित प्रकोप को रोकने के उपायों पर चर्चा की। मंत्री ने बताया कि वायरस का केंद्र पंडिक्कड है। पंडिक्कड और आसपास के क्षेत्रों में लोगों से सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने और अस्पतालों में मरीजों से मिलने से बचने की अपील की गई है।
केरल सरकार ने जारी किए दिशानिर्देश
केरल सरकार ने हाल ही में निपाह वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए एक गाइडलाइन तैयार की है। इसके तहत लोगों से बाघ की गुफाओं को न हटाने की अपील की गई है, क्योंकि उन्हें परेशान करने से वायरस संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसके साथ ही उन फलों को खाने से भी मना किया गया है, जिन्हें पक्षियों ने पहले ही काटा हो। ऐसे फल भी चमगादड़ों से संक्रमित हो सकते हैं।
केरल में पहले भी सामने आ चुके हैं निपाह के केस
केरल में पहले भी निपाह के मामले सामने आ चुके हैं। 2018, 2021 और 2023 में कोझिकोड और 2019 में एर्नाकुलम में निपाह के मामले रिपोर्ट हुए थे। राज्य में पहली बार प्रकोप के दौरान निपाह वायरस ने 17 लोगों की जान ले ली थी। 2023 में जब इस बीमारी का पता चला, तब तक 3 लोग अपनी जान गंवा चुके थे। कोझिकोड, वायनाड, इडुक्की, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों में चमगादड़ों में निपाह वायरस एंटीबॉडी पाई गई हैं।
निपाह वायरस जानवरों से फैलता है
निपाह वायरस मुख्य रूप से चमगादड़ और सुअर जैसे जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। इस बीमारी का डेथ रेट बहुत ज्यादा है। अब तक इस बीमारी का कोई इलाज या वैक्सीन मौजूद नहीं है। यह एक जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से इंसानों या इंसानों से जानवरों में फैलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे खजूर के रस के सेवन से निपाह वायरस संक्रमण हो सकता है।
क्या होते हैं निपाह वायरस के लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार, निपाह वायरस न केवल जानवरों से बल्कि एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, निपाह वायरस से संक्रमित मरीजों में वायरल बुखार के साथ सिरदर्द, उल्टी, सांस लेने में कठिनाई और चक्कर आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यदि ये लक्षण 1-2 सप्ताह तक बने रहते हैं, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
निपाह वायरस से कैसे बचें
डॉक्टरों का कहना है कि निपाह वायरस संक्रमण को रोकने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं है। केरल में इस वायरस से दो लोगों की मौत के बाद, सैंपल को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया है। केरल सरकार ने भी सावधानी बरतने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
25 साल पहले मिला था निपाह का पहला केस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस का पहली बार 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पता चला था। इसे इसी गांव के नाम पर निपाह नाम दिया गया। उस समय सुअर पालने वाले किसान इस वायरस से संक्रमित पाए गए थे। मलेशिया केस की रिपोर्ट के अनुसार, कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े जैसे पालतू जानवरों से भी संक्रमण के मामले सामने आए थे।