सरकार 10 साल बाद कराएगी जाति जनगणना, 90 दिन में रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य

The government will conduct caste census after 10 years, target to prepare the report in 90 days

दिल्ली। कर्नाटक सरकार राज्य में एक बार फिर जाति जनगणना कराने जा रही है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मंगलवार को घोषणा की कि यह सर्वे पारदर्शी और निष्पक्ष होगा और सभी समुदायों को साथ लेकर किया जाएगा। इस फैसले से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली में बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी मौजूद थे।

सर्वेक्षण की समयसीमा तय करने का कार्य कैबिनेट करेगी, और रिपोर्ट 90 दिन में तैयार की जाएगी। शिवकुमार ने भरोसा दिलाया कि सरकार सभी वर्गों के हितों की रक्षा करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि कर्नाटक से बाहर रहने वाले लोग भी ऑनलाइन माध्यम से इस सर्वे में भाग ले सकेंगे।

2015 में भी जाति सर्वे हुआ था, लेकिन वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के दबाव के चलते रिपोर्ट जारी नहीं हो पाई थी। अप्रैल 2024 में 2015 की सर्वे रिपोर्ट लीक हो गई थी, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। इन समुदायों ने आरोप लगाया कि उनकी आबादी को कम करके दिखाया गया है।

लीक रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय की आबादी 11% और वोक्कालिगा की 10.29% बताई गई, जबकि इनका दावा 18-22% और 16% तक का है। इन समुदायों का विधानसभा में व्यापक प्रतिनिधित्व है—लिंगायत के 50 और वोक्कालिगा के 40 से अधिक विधायक हैं।

पिछली रिपोर्ट में OBC आबादी 70% बताई गई थी और कुल आरक्षण 73.5% करने की सिफारिश की गई थी। इस बार का सर्वे राज्य की सामाजिक संरचना को बेहतर समझने और आरक्षण नीति पर नए फैसलों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

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