रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा घोटाले में फंसे सेवानिवृत्त आइएएस टामन सिंह सोनवानी का भ्रष्टाचार में संलिप्तता का पुराना नाता रहा है। इन पर जांजगीर-चांपा जिले में जिला पंचायत सीईओ रहते महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
विधानसभा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसकी लिखित जानकारी दी कि टामन सिंह सोनवानी पर लगे 12 आरोपों में से छह सही मिले थे। इस पर दो वेतनवृद्धि रोकी गई थी। विधानसभा में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री साय ने बताया कि वर्ष- 2012 से 14 के बीच तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ सोनवानी के खिलाफ नौ ग्राम पंचायतों में मनरेगा मद से एक करोड़ से अधिक की राशि खर्च करने की शिकायत मिली थी। इसकी जांच के लिए समिति का गठन हुआ था।
समिति ने जांच में पाया कि छह ग्राम पंचायतों, जिला पंचायत मालखरौद व जिला पंचायत के पदाधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से योजना के दिशा-निर्देशों व शासकीय निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। यही नहीं शासकीय राशि का भी दुरूपयोग किया गया है। समिति के जांच प्रतिवेदन में प्रशासकीय स्वीकृति करने वाले अधिकारियों की ओर से जिम्मेदारी का निर्वहन सही तरीके से नहीं करने का भी उल्लेख है, जो कि प्रथम दृष्टतया प्रमाणित पाया गया था।
आयुक्त को जांच की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश पर आठ फरवरी 2017 को विभागीय जांच आयुक्त को मामले के जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। विभाग ने सोनवानी पर 12 आरोप अधिरोपित किए थे। तीन आरोप सही मिले थे। तीन आरोप आंशिक रूप से सही तथा छह निराधार थे। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश पर सीईओ सोनवानी की दो वेतनवृद्धि रोकी गई थी।