चिटफंड कंपनी पीएसीएल (पर्ल एग्रोटेक कार्पोरेशन लिमिटेड)की प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री पूरी तरह से बैन कर दी गई है। इसके लिए जांच समिति ने आम सूचना भी जारी की है। दरअसल केंद्रीय समिति के पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि कंपनी की कई राज्यों में स्थित प्रॉपर्टी का सौदा किया जा रहा है जो पूरी तरह से अवैध है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंपनी की किसी भी संपत्ति की खरीदी-बिक्री नहीं हो सकती है।
रायपुर जिले और यहां से लगे ओडिशा में भी कंपनी की 20 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी है। इसे कुर्क करने की कार्रवाई चल रही है। ऐसे में यह आम सूचना रायपुर में भी पहुंचाई गई है। कंपनी के सभी तथ्यों की जांच और निवेशकों को रकम वापसी के लिए रिटायर जज लोढ़ा की अगुवाई में जांच समिति भी बनाई गई है। करीब पांच साल पहले कंपनी से रकम वापसी के लिए रायपुर से 3362 आवेदकों ने आवेदन किया था। इनकी करीब 20.21 करोड़ की रकम कंपनी में फंसी है। रकम वापसी के लिए लोगों से ऑनलाइन आवेदन जमा कराए गए थे। सबसे ज्यादा अभनपुर के लोगों ने इस कंपनी में निवेश किया था।
रायपुर शहर से 897 लोगों ने रकम वापसी के लिए आवेदन किया है। ऑनलाइन आवेदन के बाद लोगों को कुछ रकम वापस भी हुई है, लेकिन अभी भी बाकी लोग अपने पैसों का इंतजार कर रहे हैं। इसमें ऐसे भी लोग जिन्होंने 50 लाख से 1 करोड़ तक भी निवेश किया है। अब इस पूरे मामले में जांच समिति ने अपील की है कि कोई संस्था, कंपनी या व्यक्तिगत लोग पीएसीएल कंपनी की प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री से पहले संबंधित वेबसाइट को जरूर देख लें। नियमों के खिलाफ कोई काम करेगा तो उस पर वैधानिक कार्रवाई तय है।
6 से ज्यादा कंपनियों की संपत्ति भी नहीं बिकी
राजधानी में अभी भी आधा दर्जन से ज्यादा चिटफंड कंपनियां हैं जिनकी संपत्ति की नीलामी नहीं हो पाई है। इन कंपनियों में निवेश करने वाले लोगों से आवेदन भी मंगवा लिए गए हैं। लेकिन संपत्ति की बिक्री नहीं होने की वजह से किसी को पैसे नहीं मिले हैं। इसके अलावा प्रशासन के खाते में करीब 4.25 करोड़ रुपए 2 साल से जमा हैं।
इस रकम को भी अब तक पीड़ितों को नहीं बांटा गया है। इसे लेकर भी लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि कंपनी की संपत्ति बिकने के बाद भी प्रशासन उनकी रकम वापस नहीं कर रहा है। इस मामले में कई पीड़ित कोर्ट जाने की भी तैयारी कर रहे हैं। पीड़ितों को पैसा वापस क्यों नहीं किया जा रहा है इसे लेकर जिम्मेदार अफसर भी कुछ नहीं कह रहे हैं। इस मामले मे करीब एक साल से अफसरों को कोई बैठक भी नहीं बुलाई गई है। इस वजह से लोगों का गुस्सा और बढ़ गया है।