रायपुर। छत्तीसगढ़ के कॉलेज व विश्वविद्यालयों में संचालित यूजी-पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश की प्रक्रिया 16 अगस्त को समाप्त हो गई। यूजी में 60 हजार से अधिक सीटें खाली रह गई। इसी तरह पीजी में भी पिछले वर्षों की तुलना में एडमिशन कम हुए हैं। शिक्षा सत्र 2024-25 के अनुसार पहले एडमिशन की आखिरी तारीख 31 जुलाई थी। जिसे बाद में बढ़ाया गया था। लेकिन तारीख बढ़ने के बाद भी ज्यादा सीटें नहीं भरीं।
प्रदेश में पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, सरगुजा विवि, दुर्ग विवि, बिलासपुर विवि, रायगढ़ विवि व बस्तर विवि प्रमुख राजकीय विवि हैं। इनसे संबद्ध कॉलेजों में बीए, बीकॉम, बीएससी समेत अन्य यूजी फर्स्ट ईयर की करीब एक लाख 80 हजार सीटें हैं। इनमें से 70 हजार से अधिक खाली रह गई थी। ज्यादा संख्या में सीटें खाली रहने की वजह से उच्च शिक्षा विभाग की ओर से प्रवेश की तारीख बढ़ाई गई।
इस तारीख के समाप्त होने के बाद यूजी की बड़ी संख्या में सीटें खाली है। प्रवेश की स्थिति को लेकर पड़ताल की गई तो पता चला कि रविवि से संबद्ध कॉलेजों में यूजी की 49 हजार सीटें हैं। इनमें से करीब 33 हजार सीटों में प्रवेश हुए हैं, 16 हजार खाली है। राजधानी के तीन ऑटोनोमस कॉलेजों को छोड़ दें तो अन्य सरकारी कॉलेजों में बीए, बीकॉम के अलावा बीएससी की सीटें भी खाली है।
इसके अलावा कुछ प्रमुख निजी कॉलेजों को छोड़कर अन्य में बीकॉम व बीए की ज्यादा सीटें खाली है। इसी तरह अटल यूनिवर्सिटी बिलासपुर के कॉलेजों में यूजी फर्स्ट ईयर की करीब 33 हजार से अधिक सीटें हैं। यहां करीब 15 हजार से अधिक सीटें खाली है। सरगुजा विवि से संबद्ध कॉलेजों में बीए, बीकॉम, बीएससी व बीसीए फर्स्ट ईयर की 26 हजार सीटें हैं। यहां भी पिछले वर्षों की तुलना में ज्यादा सीटें खाली हैं। इसी तरह दुर्ग विवि, रायगढ़ विवि, बस्तर विवि में यूजी व पीजी में इस बार एडमिशन कम हुए हैं। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा से जुड़े प्रदेश में 9 राजकीय विवि हैं। इनसे संबंद्ध 285 गवर्नमेंट कॉलेज और 264 प्राइवेट कॉलेज हैं।
इसलिए सीटें खाली
अग्रसेन महाविद्यालय पुरानी बस्ती रायपुर के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. अमित अग्रवाल का कहना है कि कोविड के बाद छात्रांे की नियमित पढ़ाई की आदत छूट गई है। कॉलेज की जगह वे प्राइवेट से परीक्षा देना ज्यादा पसंद करने लग गए हैं। इस वजह से यूजी में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह रही है। महंत कॉलेज रायपुर के प्रिंसिपल देवाशीष मुखर्जी का कहना है कि प्रदेश में उच्च शिक्षा का स्तर देश के बड़े राज्यों की तुलना में बहुत अच्छा नहीं है। इसलिए बड़ी संख्या में छात्र राज्य छोड़कर दूसरे राज्य में पढ़ने जा रहे हैं। सीयूईटी होने के उन्हें यह अॉप्शन मिला है। इसके अलावा अन्य कारण भी हैं जिसकी वजह से पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश के कॉलेजों में सीटें खाली रह रही है।
यूजी प्रवेश की तारीख बढ़ना अब मुश्किल
प्रदेश की उच्च शिक्षा में इस साल से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई है। इसके अनुसार यूजी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई एनईपी के फार्मूले से होगी। इसके तहत फर्स्ट ईयर में मुख्य रूप से कई बदलाव हुए हैं। उनमें एक है सेमेस्टर प्रणाली। पहले यूजी की पढ़ाई एनुअल पैटर्न पर होती थी। इस बार सेमेस्टर प्रणाली से पढ़ाई हो रही है। इसके अनुसार कक्षाएं शुरू हो चुकी है। नवंबर-दिसंबर में परीक्षा होगी। इसे देखते हुए यूजी फर्स्ट ईयर में प्रवेश की तारीख बढ़ने की संभावना बेहद कम है।