सुशासन’ अहिल्याबाई होल्कर से सीखना चाहिए : प्रो. टोपलाल वर्मा

वर्तमान संदर्भ में सुशासन कैसा हो? इस प्रश्न का आदर्श उत्तर है- अहिल्याबाई होल्कर का समूचा जीवन। 18वीं सदी में अहिल्याबाई ऐसी शासक हुई हैं जिन्होंने सुशासन को चरितार्थ किया। यह बातें प्रो. टोपलाल वर्मा, प्रांत संघ चालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छत्तीसगढ़ ने कहीं। मौका था छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित दुर्गा महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में व्याख्यान माला का।

महाविद्यालय के सभागार में छात्रों को संबोधित करते हुए प्रो. वर्मा ने रानी अहिल्या देवी होलकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि18 वीं सदी में अहिल्याबाई ऐसी शासन हुई जिन्होंने सुशासन को चरित्रार्थ किया। उन्होंने सती प्रथा को रोकने का प्रयास किया महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए महेश्वर में वस्त्र उद्योग की नीव डाली। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक उपाय किए। कानून सबके लिए बराबर होता है इस उक्ति को चरितार्थ कर गलती करने पर अपने पति एवं पुत्र को भी दंडित किया।

रानी अहिल्या देवी व्यक्तिगत चापलूसी एवं प्रशंसा से कोसों दूर रहती थी, चाटुकारों को अपना गुणगान करने से रोक देती थी व उनको बिना धन दिए रवाना कर देती थी, अपनी प्रशंसा में लिखे गए ग्रंथो को नदी में फिकवा देती थी। इस कड़ी में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अजय चंद्राकर ने सुशासन विषय पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता उप-प्राचार्य डॉ. सुरेंद्र कुमार अग्रवाल ने की। इस अवसर पर संस्कृत महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉक्टर प्रवीण झाड़ी एवं दुर्गा महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ.सुभाष चन्द्राकर विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अमन झा ने किया।

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